Indian Police Force Review: सिद्धार्थ मल्होत्रा, शिल्पा शेट्टी की एक्टिंग से बोर हो गई ऑडियंस, रोहित शेट्टी के डायरेक्शन में रह गई कमी
इंडियन पुलिस फाॅर्स (वेब सीरीज)
आतंकवादियों के हमले से निपटने के लिए डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने एक पुलिस फाॅर्स तैयार की है जो सात एपिसोड तक लगातार एंटरटेन करने में फ़ैल रही है। सीरीज में सिद्धार्थ मल्होत्रा, शिल्पा शेट्टी, विवेक ओबेरॉय समेत कई नामी एक्टर्स नज़र आये हैं।
डायरेक्टर रोहित शेट्टी अपनी पिछली फिल्मों सिंघम, सिम्बा और सूर्यवंशी में पुलिस के किरदारों को चमकाते आये हैं। इनकी फिल्में देख कर ऑडियंस इतनी इम्प्रेस हो चुकी थी कि डायरेक्टर के डायरेक्शन में बनी वेब सीरीज इंडियन पुलिस फाॅर्स के सात एपिसोड बिना ब्रेक के देख डाले। उम्मीद थी कि डायरेक्टर रोहित शेट्टी इतने बड़े स्टार्स को एक साथ ला रहे हैं वो भी वेब सीरीज में तो धमाका होना तो तय होगा। लेकिन इस रिव्यू के शुरुआत में ही लिख देती हूं कि शायद आपको ये सीरीज बुरी तरह से निराश कर सकती है।
पिछले एक साल से खबरें थी कि रोहित शेट्टी ने सिद्धार्थ मल्होत्रा, विवेक ओबेरॉय, शिल्पा शेट्टी, निकितिन धीर, शरद केलकर के साथ एक शानदार सीरीज बनाई है। लेकिन आप इन 7 एपिसोड को देखने के दौरान बस किसी जबरदस्त ट्विस्ट का इंतजार करते दिखेंगे।
इस सीरीज की कहानी आतंकवादियों द्वारा दिल्ली में अलग जगह हुए 6 बम ब्लास्ट से शुरू होती है। दिल्ली पुलिस इन हमलों को अपने उपर लेते हुए जांच शुरू करती है। इससे बेहतर जांच और सस्पेंस टीवी शो क्राइम पेट्रोल में देखा जा चुका है। आतंकवादियों के हमले के एक सीनियर ऑफिसर की जान चली जाती है यहां हैरानी वाली बात ये है कि पुलिस जो बुलेट प्रूफ जैकेट पहनती है उसका कोई इस्तेमाल नहीं है। वो बस इनके लिए एक फैशन है। क्योंकि उसे पहनने के बाद भी सीने पर गोली लगती है और जान चली जाती है। अंत में इस मिशन में रॉ ऑफिसर शामिल होते हैं और बांग्लादेश के ढाका से मुख्य आतंकवादी को पकड़ कर आसानी देश लाया जाता है। इस बॉर्डर क्रोस वाले सीन को देखने में शायद आपको हंसी आ सकती है। आप सोचेंगे कि कैसे इतनी आसानी से कोई भी एक देश की बॉर्डर क्रोस कर दूसरे देश में प्रवेश कर सकता है।
एक्टिंग की बात करते हैं। इस सीरीज में एक सीन है जहां सिद्धार्थ का किरदार कबीर मलिक अपनी सीनियर ऑफिसर तारा शेट्टी (शिल्पा शेट्टी) से नाराज़ होता है और उन्हें धक्का दे देता है। यहां तारा शेट्टी उन्हें मारने के लिए हाथ उठाती हैं। ये सीन देख कर आपको इनकी एक्टिंग पर जरुर शक होगा। आगे शिल्पा शेट्टी का रोल गाड़ी से उतरकर पोज़ देना और स्टाइल में रहने के आलावा कुछ नहीं था। वहीं सिद्धार्थ यानी कबीर जब देशभक्ति की बातें करते हैं तो आपको कुछ कसर लगेगी। या तो डायलॉग सही नहीं है बोला सही से नहीं जा रहा। विवेक ओबेरॉय के किरदार को एक्शन में देखने में अच्छा लगता है। लेकिन स्क्रीनप्ले और स्क्रिप्ट में गड़बड़ लगेगी। निकितिन धीर और शरद केलकर के किरदार को थोड़ा और हाईलाइट किया जाता तो शायद मज़ा आ गया होता। श्वेता तिवारी समेत कुछ एक्ट्रेस साइड रोल में नज़र आई हैं जिन्हें इतना स्क्रीनस्पेस नहीं दिया गया जिस पर बात की जाये।
ये सात एपिसोड की सीरीज की रोहित शेट्टी ने डायरेक्ट किया और कहानी को लिखा है संदीप साकेत और अनुषा नंदकुमार ने। कहानी और बेहतर हो सकती थी। पेश करने में भी कसर नज़र आएगी। रोहित शेट्टी कमाल की फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं ऐसे में कुछ नया विषय उठाया होता। कुछ नया मुद्दा होता। कोई मज़ेदार कहानी होती तो दिल खुश हो जाता।