‘अंतिम’ रिव्यू: ‘टिपिकल सलमान खान फिल्म’ से अलग है आयुष शर्मा की गैंगस्टर-स्टोरी, दमदार है डायलॉग और एक्शन!
हार्डकोर बॉलीवुड फैंस की एक तमन्ना तो ‘अंतिम’ में पूरी हो जाएगी, सलमान खान की फिल्म में कहानी देखने की। लेकिन ये फिल्म आयुष शर्मा की है जिनकी बॉडी और एक्टिंग दोनों जनता को हैरान कर सकती हैं। ‘लवयात्री’ जैसे डब्बा डेब्यू के बाद ‘अंतिम’ में आयुष को देखकर आपको समझ आएगा कि सलमान ने उनपर पैसा क्यों लगाया!
‘अंतिम’ 2018 में आई मराठी फिल्म ‘मुलशी पैटर्न’ का हिंदी रीमेक है और इसे डायरेक्ट किया है ‘वास्तव’ जैसी एपिक गैंगस्टर ड्रामा फिल्म बना चुके महेश मांजरेकर ने। और उन्हें इस बात का क्रेडिट तो देना पड़ेगा कि उन्होंने फिल्म को सलमान के कन्धों पर डालने की बजाय एक स्टोरी पर ज्यादा भरोसा दिखाया है और अपनी ज़मीनों को बेचने पर मजबूर किसानों की कहानी के साथ एक बेरोजगार लड़के के बन्दूक उठा लेने की कहानी के इमोशनल स्ट्रेंग्थ को पकड़ते हुए एक ऐसी मास एंटरटेनर फिल्म बनाई है जिसे सिर्फ एक ‘सलमान खान फिल्म’ कह देना गलत होगा।
राहुल (आयुष शर्मा) के बाप को अपनी ज़मीन बेचनी पड़ती है और उसी पर चौकीदार की नौकरी करनी पड़ती है। उसकी ये फ्रस्ट्रेशन उसे बन्दूक की तरफ ले जाती है और वो इसे ही बंद किस्मत की चाभी बनाकर पावर का सपना अनलॉक करने लगता है। लेकिन जैसा कि 375 बॉलीवुड फ़िल्में पहले बता चुकी हैं... ये प्लॉट नहीं आसां बस इतना समझ लीजे! राहुल के सामने अलग-अलग लेवल के गुंडे और पॉलिटिशियन तो हैं ही मगर एक गैंगस्टर्स का बाप पुलिस वाला भी है- राजवीर सिंह (सलमान खान)।
फिल्म के फर्स्ट हाफ में और सेकंड हाफ के बड़े हिस्से में सलमान कुश्ती से ज्यादा शतरंज कर रहे हैं और डायलॉग मार रहे हैं। जो कि ‘फॉर अ चेंज’ उनकी पिछली आधा दर्जन फिल्मों से तो बेहतर है। राहुल की लवर मंदा बनीं महिमा मकवाना का काम भी बहुत इम्प्रेसिव है। हालांकि आयुष के साथ उनकी केमिस्ट्री उतनी मज़ेदार नहीं है। लेकिन आयुष ने इस बार बहुत मेहनत की है जिसका ज़ोर उनकी आईब्रो पर थोडा ज्यादा चला गया है। मगर उनकी सबसे बड़ी खासियत ये रही कि वो सलमान के सामने स्क्रीन पर गुम नहीं हुए।
मंदा के बाप के रोल में महेश मांजरेकर खुद बहुत अच्छे लगे और उनके सीन्स बहुत मज़ेदार हैं। सचिन खेड़ेकर और उमेन्द्र लिमये ने भी सपोर्टिंग कैरेक्टर्स में पूरी जान डाली है। आयुष और सलमान के कैरेक्टर में जान फूंकने के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत धमाकेदार सा रखा गया है, लेकिन सेकंड हाफ़ तक वो इतना हेवी हो जाता है कि आपके कान फूंक सकता है। सेकंड हाफ़ में जाकर फिल्म थोड़ी स्लो भी पड़ी जो न होता तो कहानी काफी जमती।
ओवरऑल ‘अंतिम’ एक ठीक मास एंटरटेनर बनी है जिसमें अपनी कमियां तो हैं, मगर सलमान दर्शन के लिए थिएटर पहुंचीं ऑडियंस को उम्मीद से ज्यादा मज़ेदार लगेगी।