83 रिव्यू: फिल्म में रणवीर सिंह या कोई और एक्टर है ही नहीं, बस एक ऐतिहासिक जीत है और जिताने वालों की कहानी है!

    4.5

    83 

    हिंदी (2021)

    कास्ट: रणवीर सिंह, जीवा, साक़िब सलीम, जतिंदर सरना, एमी विर्क, हार्डी संधू, दीपिका पादुकोण

    कपिल देव और उनकी टीम क्रिकेट वर्ल्ड कप खेलने जा पहुंची है इंग्लैंड। अपनी ही मस्ती में जीते इन खिलाड़ियों से लोगों को 2 मैच ठीक से जीतने की उम्मीद नहीं है, वर्ल्ड कप तो छोड़िये। लेकिन कपिल और गैंग जो करने वाले हैं, उसका अंदाजा तो शायद उन्हें खुद भी नहीं है...

    83 रिव्यू: फिल्म में रणवीर सिंह या कोई और एक्टर है ही नहीं, बस एक ऐतिहासिक जीत है और जिताने वालों की कहानी है!
    Updated : December 21, 2021 01:14 PM IST

    अहमदाबाद का एक सगाईशुदा कपल साथ में शाम को बाहर जाना चाहता था। उन दिनों जबतक शादी न हो जाए तब तक तो लड़का लड़की का साथ दिख जाना कतई ‘हाय मोरी मैया’ वाला मामला हो जाता था। फिर भी उन्होंने डरते-सोचते अपने पेरेंट्स से इजाज़त मांग ही ली।

    आख़िर लड़का नई बुलेट भी लाया था और उसे लड़की के आगे चमकानी भी तो थी! लेकिन सरप्राइज... परिवार ने उन्हें इजाज़त दे दी। कारण? परिवार को लगा कि आज इन्हें ऐसी-वैसी प्राइवेसी कहां मिलेगी, आज तो वैसे भी पूरा इंडिया सड़कों पर है! उस दिन तारीख थी 25 जून 1983।

    वो दिन, जब भारत ने क्रिकेट में अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था, उस दिन के ऐसे कितने ही किस्से हैं लोगों के पास। कुछ किस्से अखबारों और किताबों में छपे, लेकिन कितने ही ऐसे किससे आज भी लोगों के सीने में छिपे हैं। 25 जून 1983 का वो दिन था ही ऐसा- जीत का दिन, जश्न का दिन, जश्न के जुनूं में होश भूल जाने का दिन।

    83 कहानी है उस एक आम शनिवार को इतिहास का एक दस्तावेज़ बना देने वाले टीम की। और उस सफ़र की जिसे कोई ‘किस्मत’ बताता रहा, तो किसी ने ‘तुक्का’ कहा। लेकिन उस टीम का एक-एक खिलाड़ी जानता है कि ऐसी जीतें तुक्के या किस्मत से नहीं मिलतीं। ऐसी जीत एक तगड़े सेनापति के टॉप-क्लास लीडरशिप से मिलती हैं... और उस टीम का एक-एक खिलाड़ी आज भी इसका क्रेडिट अपने सेनापति कपिल देव को देता है। कपिल, जिनका किरदार फिल्म में रणवीर सिंह निभा रहे हैं। लेकिन फिल्म देखकर आने के बाद ये कहना मुश्किल होगा कि फिल्म में रणवीर सिंह कहीं हैं।

    स्क्रीन पर सिर्फ कपिल दिखेंगे, जो ज्यादा बोलते नहीं, करने में यकीन रखते हैं। जिनकी बॉडी लैंग्वेज बहुत सधी हुई है और अंग्रेजी टूटी हुई। और न आपको जतिंदर सरना दिखेंगे, सिर्फ यशपाल शर्मा दिखेंगे। उस वर्ल्ड कप के हीरोज़ में से एक यश पाजी, जो इस ऐतिहासिक लम्हे को, अपने जीवन के सबसे हीरोइक मोमेंट्स को स्क्रीन पर देखने से पहले इस संसार को छोड़ गए। फिल्म शुरुआत में ही उन्हें श्रद्धांजलि भी देती है।

    ऐसे ही कास्ट में जीवा तो हैं ही कहां... सिर्फ कृष्णमाचारी श्रीकांत हैं और ऐसे ही एमी विर्क, हार्डी संधू, साकिब सलीम कोई भी एक्टर इस फिल्म में है ही नहीं। 83, क्रिकेट हिस्टोरियन डेविड फ्रिथ की भी कहानी है जिसने कहा था कि इंडिया को इस वर्ल्ड कप से नाम वापिस ले लेना चाहिए और अगर वो जीते तो वो अपने शब्द चबा लेंगे।

    उन्होंने इंडिया की वर्ल्ड कप जीत के बाद रेड वाइन के साथ, अपना लिखा आर्टिकल चबाते हुए फोटो, इंडियन क्रिकेट टीम के मेनेजर पीआर मानसिंह को भेजा। 83 इन्हीं सब कहानियों को स्क्रीन पर ले आती है। और साथ ही स्क्रीन पर लाती है कपिल देव की वो 175 रनों की पारी जिसका कोई वीडियो फुटेज अवेलेबल नहीं है। क्योंकि उस दिन टेलीकास्ट का इक्विपमेंट उस मैच के प्रसारण में लगा दिया गया था जो इंडिया बनाम ज़िंबाबवे से कहीं ज़रूरी माना गया।

    83, असंभव के मुंह पर 11 लड़कों के, तिरंगे का रंग मल कर, ‘संभव’ लिख देने की कहानी है। 83 उस जीत, उस जश्न, उस ऐतिहासिक क्षण, उस उम्मीद की कहानी है जो कपिल देव की टीम ने एक देश को दिखाई। 83 रिव्यू करने, रिव्यू देखने की नहीं, थिएटर्स में अपने दोस्तों, अपने परिवारों के साथ देखने वाली कहानी है। और इस कहानी को जीने के लिए रणवीर सिंह, जतिंदर सरना, जीवा, एमी विर्क और सभी एक्टर्स का शुक्रिया।

    शुक्रिया कि हमने जो 83 की जीत से जुड़े जो किस्से कहानियां अखबारों में पढ़े थे आपने उसे स्क्रीन पर जिंदा कर दिया वो। डायरेक्टर कबीर खान का शुक्रिया कि उन्होंने इतिहास के उस गौरवशाली क्षण को सेलिब्रेट करने के लिए हंगामेदार संगीत और टिपिकल बॉलीवुडिया मसाले को साइड रखा।

    कबीर खान ने पूरा ध्यान रखा कि खुद को कम आंकने वालों का जवाब स्टेटमेंट नहीं, कारनामों से देने वाली टीम स्क्रीन पर भी अपने कारनामे ही करती दिखाई दे, देशभक्ति से भरे लम्बे मोनोलॉग वाले स्टेटमेंट्स में नहीं।

    हालांकि, मानसिंह बने पंकज त्रिपाठी का फीका रह जाना थोड़ा सा ध्यान बंटाने वाला ज़रूर रहा, मगर ओवरऑल 83 एक अनुभव है, जिसमें थिएटर जाकर आप खो जाना चाहेंगे। आप इस सीटियां मारकर, तालियां पीटकर कपिल-कपिल चिल्लाकर या हूटिंग कर के इस जीत का हिस्सा बन जाना चाहेंगे... और ये हमारी गारंटी है कि इस फिल्म में वो बात है जो आपसे ऐसा करवा भी लेगी!