‘धाकड़’ रिव्यू: कंगना रनौत का स्क्रीन-फाड़ एक्शन विस्फोट और अर्जुन रामपाल की खौफनाक एक्टिंग आपकी सीटियां-तालियां डिज़र्व करती है

    3.5

    धाकड़

    एजेंट अग्नि इंडिया की किसी सुरक्षा एजेंसी की सीक्रेट एजेंट है और उसका मिशन है इंडिया से लड़कियों की तस्करी कर रहे पूरे नेटवर्क की जानकारी जुटाना और उसे तबाह करना। इंडिया में इस नेटवर्क के सरगना हैं रोहिणी और रुद्रवीर। एजेंट अग्नि का रुद्रवीर से एक पुराना हिसाब भी है, क्या सब बराबर हो पाएगा?

    Director :
    • रजनीश घई
    Cast :
    • कंगना रनौत,
    • अर्जुन रामपाल,
    • दिव्या दत्ता,
    • शरीब हाशमी,
    • शाश्वत चैटर्जी
    Genre :
    • स्पाई एक्शन थ्रिलर
    Language :
    • हिंदी
    ‘धाकड़’ रिव्यू: कंगना रनौत का स्क्रीन-फाड़ एक्शन विस्फोट और अर्जुन रामपाल की खौफनाक एक्टिंग आपकी सीटियां-तालियां डिज़र्व करती है
    Updated : May 20, 2022 10:13 AM IST

    एक टॉप क्लास सीक्रेट एजेंट होगा, उसका एक खतरनाक मिशन होगा जिसका लेना-देना किसी सोशल मुद्दे से होगा। मिशन पूरा करते हुए हीरो का अपने दुश्मनों से कुछ पुराना-पर्सनल बवाल भी सामने आएगा और फिर वो मिशन को और तूफानी बना देगा। इस एक टेम्पलेट पर आपने बॉलीवुड ही नहीं, हॉलीवुड की भी ढेर सारी स्पाई-एक्शन-थ्रिलर फ़िल्में देखी होंगी। तो फिर सवाल उठता है कि ‘धाकड़’ में ऐसा क्या है? जवाब- धाकड़ का एक्शन स्टार कंगना रनौत हैं!

    कंगना का ताबड़तोड़ एक्शन, और उनकी टॉप परफॉरमेंस ही नहीं, उनका सिर्फ स्क्रीन पर होना ही ‘धाकड़’ को कई तरीकों से अलग कर देता है। ये फैक्ट तो साइड ही रख दीजिए कि वो ज़ोरदार तरीके से, एक लम्बे समय से खाली पड़े ‘फीमेल एक्शन स्टार’ वाली जगह को भर रही हैं; बल्कि उनका स्क्रीन पर एक लुक-एक मूवमेंट आपको बता देता है कि अब स्क्रीन पर बवाल कटने वाला है।

    ‘धाकड़’ की कहानी बहुत सिंपल है- एजेंट अग्नि (कंगना), इंडिया की किसी सुरक्षा एजेंसी की सीक्रेट एजेंट हैं और उनका मिशन है इंडिया से लड़कियों की तस्करी कर रहे पूरे नेटवर्क की जानकारी जुटाना और उसे तबाह करना। बुडापेस्ट वो जगह है जहां इन लड़कियों को एजेंट अग्नि बचाती है और फिर ट्रेस करते हुए उसे पता चलता है कि इंडिया में इस नेटवर्क के सरगना हैं रोहिणी (दिव्या दत्ता) और रुद्रवीर (अर्जुन रामपाल)। इंडिया आने पर उसे एजेंसी से एक हेल्पिंग हैंड मिलता है जिसका नाम है फज़ल (शरीब हाशमी), और उसकी खुद की एक छोटी बच्ची है। कहानी में आगे पता चलता है कि एजेंट अग्नि का जिगरा इस कदर फौलादी हो जाने के पीछे उसके बचपन का एक ट्रॉमा है जिसका कनेक्शन रुद्रवीर से है।

    इस पूरी कहानी का टेम्पलेट यूं तो बहुत प्रिडिक्टिव है और आगे क्या होने वाला है ये आप दूर से ही सूंघ लेते हैं। लेकिन सारा खेल इसके बाद ही है, यानी इस बात में कि स्क्रीन पर ये सबकुछ होता कैसे है! ‘धाकड़’ के राइटर-डायरेक्टर रजनीश घई को इस बात का पूरा क्रेडिट दिया जाना चाहिए कि एक स्पाई-थ्रिलर के इस बने-बनाए से जॉनर में उन्होंने अपनी प्रेजेंटेशन से पूरा खेल बदल दिया है। राजीव जी मेनन के साथ मिलकर लिखा उनका स्क्रीनप्ले यकीनन प्रिडिक्टिव है मगर इसमें सभी किरदारों के खुलने का और चमकने का पूरा स्पेस है। 

    कंगना ने तो जो किया वो किया ही, लेकिन दिव्या दत्ता और अर्जुन रामपाल से रजनीश ने जो करवाया है वो देखकर आप सन्न रह जाएंगे। रजनीश ने फिल्म के दोनों नेगेटिव किरदार इतनी कलाकारी से स्क्रीन पर खड़े किए हैं कि मुझे दर है उनके बारे में बात करते हुए मैं कहीं विलेन्स के प्यार में गिरफ्तार न लगने लगूं! दिव्या तो हमेशा से अपनी पावरफुल एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं मगर इस भयानक नेगेटिव रोल में वो इतने शानदार तरीके से फिट बैठ रही हैं कि जगीरा और गब्बर वगैरह को उनसे तुरंत मुहब्बत हो जाएगी! 

    अर्जुन रामपाल को फर्स्ट हाफ में तो फिल्म एक मिथ की तरह ट्रीट करती है, उसके भौकाल का टावर तैयार करती है लेकिन उसकी एंट्री कायदे से होती है सेकंड हाफ में। मोनोक्रोम में चल रहे फ़्लैशबैक सीन्स में रुद्रवीर की भरी जवानी की कहानी देखकर ही आप समझ जाते हैं कि प्रेजेंट टाइम में ये जब आएगा तो ठीक नहीं होने वाला। और इंटरवल के ठीक बाद बिल्कुल यही होता है। कंगना के साथ दिव्या के आमने-सामने का सीन इतना टेंशन बिल्ड-अप देता है कि क्या होने वाला है ये सोचकर ही आप थ्रिल में आने लगते हैं। मगर वो जिस तरह होता है, आप देखकर हैरान रह जाएंगे। 

    कंगना और अर्जुन का कन्फ्रंटेशन एक दमदार स्क्रीन गॉडेस और खूंखार विलेन के बीच का बेहतरीन सैंपल बन जाता है। लेकिन इसी सेकंड हाफ में फिल्म थोड़ी खिंच भी जाती है, और इंटरवल के काफी बाद तक आपको सरप्राइज करती जा रही फिल्म टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल में घुस जाती है- जहां लोग अपने मुंह से बोल-बोल के कहानी चलाने लगते हैं। स्टोरी का फाइनल ट्विस्ट भी आप मीलों पहले से आता हुआ देख लेते हैं और फिर चीज़ें खामखां खींची हुई सी लगने लगती हैं। उस वक़्त कंगना एकमात्र चीज़ हैं जो आपको बांध के रखती हैं।

    ‘धाकड़’ का पूरा वर्ल्ड क्रिएट करने में सिनेमेटोग्राफर टेत्सुओ नगाता की मास्टरी से आप हैरान हो जाएंगे। फिल्म का एक-एक फ्रेम अपने आप में आपको इंटरनेशनल सिनेमा के लेवल पर लगेगा। रामेश्वर एस और भगत की एडिटिंग फिल्म को एक अलग लेवल पर ले जाती है। ‘धाकड़’ के विजुअल्स में एक अलग ही खूबसूरती है जिसे हॉलीवुड फ़िल्में देखने वाले दर्शक बहुत सराहेंगे। और पूरे माहौल को जोरदार बनाने में ध्रुव घानेकर के गाने और स्नेहा खानवलकर का स्कोर पूरा योगदान देता है।

    कुल मिलाकर ‘धाकड़’ एक टोटल पैसा वसूल फिल्म है जिसमें कंगना ने एक्शन की वो तबाही मचाई है जो बॉलीवुड की बहुत सारी सो-कॉल्ड एक्शन थ्रिलर्स में मेल हीरोज़ भी नहीं कर पाए। अर्जुन रामपाल और दिव्या दत्ता आपकी उम्मीद से कहीं ज्यादा खतरनाक विलेन निकलेंगे। और फिल्म में सीटियों-तालियों वाले मोमेंट्स की भरमार है। इसलिए बेशक देख डालिए!