दृश्यम 2 रिव्यू: अजय देवगन की फिल्म ने फिर जीता दिल, क्लाईमैक्स में खुद बजाएंगे तालियां

    4.0

    दृश्यम 2

    दृश्यम 2 में एक बार फिर से विजय सलगांवकर का परिवार पुलिस की जद में फंस जाता है लेकिन वो इस बार फंसेगा या दोबारा से बच जाएगा, इसी पर फिल्म की कहानी आधारित है। इस बार भी पूरा सस्पेंस और ड्रामा देखने को मिलता है।

    Director :
    • अभिषेक पाठक
    Cast :
    • अजय देवगन,
    • तबू,
    • श्रेया सरन और अक्षय खन्ना
    Genre :
    • सस्पेंस-थ्रिलर
    Language :
    • हिंदी
    दृश्यम 2 रिव्यू:  अजय देवगन की फिल्म ने फिर जीता दिल, क्लाईमैक्स में खुद बजाएंगे तालियां
    Updated : November 18, 2022 09:58 AM IST

    अजय देवगन, तबू और अक्षय खन्ना स्टारर फिल्म का बड़ी ही बेसब्री के साथ इंतजार किया जा रहा था। आखिरकार ये फिल्म 18 नवंबर को बड़े पर रिलीज हो गई है। विजय सलगांवकर के परिवार पर एक बार फिर से मुसीबत आ गई है और इस बार भी विजय अपने परिवार को बचाने के लिए पूरी जान झोंक देता है। लेकिन क्या इस बार भी उसे सफलता मिलती है और क्या दृश्यम 2 पहली दृश्यम से बेहतर है या नहीं, आइए इस रिव्यू में जानते हैं।

    कहानी

    फिल्म की कहानी पिछले पार्ट से ही शुरू होती है। पिछली फिल्म की एक अहम कड़ी को दृश्यम 2 की शुरुआत में ही दिखाया जाता है। इसे बताया नहीं जा सकता क्योंकि इस पर ही विजय सलगांवकर के राज टिके हुए हैं जो कि खुल सकते हैं। 7 साल बीत जाते हैं लेकिन मारे गए समीर के माता पिता मीरा देशमुख और महेश देशमुख हर साल लंदन से इंडिया आते हैं और अपने बेटे की आत्मा की शांति के लिए पूजा करवाते हैं। लेकिन पंडित जी का कहना है कि ये तभी संभव है जब बेटे की अस्थियां मिलेंगी। इसलिए महेश एक बार फिर विजय से विनती करता है कि वो बता दे कि उसके बेटे की बॉडी कहां हैं। लेकिन वो नहीं बताता। इस बीच विजय एक फिल्म प्रोड्यूसर भी बनने जा रहा होता है और उसका एक थिएटर भी खुल गया होता है। 

    मीरा कहीं न कहीं आज भी अपने बेटे के मर्ड्रर से बदला लेने के लिए आतुर रहती है। वो तरुण अहलावत (अक्षय खन्ना) की मदद लेती है जो कि उसके कॉलेज का दोस्त है। एक बार फिर से छानबीन शुरू होती है और मीरा के बेटे की बॉडी मिल जाती है। विजय का परिवार एक बार फिर जेल में होता है और इस बार भी उन्हें खूब टॉर्चर किया जाता है। विजय आखिरकार अपना कंफेशन दे भी देता है लेकिन क्या इसके बाद वो या उनके परिवार को कोई सदस्य जेल जाता है? ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखने होगी। 

    फिल्म में क्या बेहतरीन?

    फिल्म की स्टोरी जितनी लिखी है, उससे आपको शायद अभी मजा ना आ रहा लेकिन यही तो पूरा सस्पेंस है जिसे बताया नहीं जा सकता। दृश्यम 2 भी उतनी ही मजेदार है जितना इसका पहला पार्ट। आप शुरू से लेकर आखिर तक सीट से बंधे रहेंगे और इधर उधर होने का मन बिल्कुल भी नहीं करेगा। विजय को आप बस फंसते हुए देखेंगे लेकिन आपके अंदर दुविधा चलेगी कि अब तो ये फंस जाएगा क्योंकि परिवार इसमें कमजोर कड़ी बनता जाता है। पर अंदर ही अंदर आप कहीं न कहीं ये भी सोचेंगे कि विजय कुछ तो ऐसा करेगा कि वो बच जाएगा और ऐसा होता भी है। और क्लाईमैक्स में जब ऐसा होता तो आपको खुद खड़े होकर तालियां बजाने का मन करेगा। दृश्यम 2 में कहानी और हर किसी के एक्सप्रेशन्स कमाल के हैं और इसी के चलते इस फिल्म में मजा आता है।

    कहां रह गई कमी?

    फिल्म में मुश्किल से ही कुछ मौके आएंगे जब आपको कुछ अच्छा न लगे। जैसे हो सकता है आप इस बात की शिकायत करें कि जब सलगांवकर परिवार ने इससे पहले तो इतना टॉर्चर सह लिया था तो अब सिर्फ पुलिस के आने भर से उनकी बुरी हालत क्यों हो जाती है। लेकिन इन सबके के अलावा आप शायद ही फिल्म में कोई कमी निकाल पाएं।

    कुल मिलाकर फिल्म को आपको बार बार देखने का मन करेगा। क्योंकि हर सस्पेंस को पूरे लॉजिक के साथ खोल गया है। डायरेक्टर अभिषेक पाठक ने मलयालम दृश्यम 2 को हिंदी में बहुत ही प्यारे तरीके से रीक्रिएट किया है।

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