‘जलसा’ रिव्यू: विद्या बालन और शेफाली शाह की फिल्म दिल के अन्दर एक टीस छोड़ जाएगी

    4.0

    जलसा

    एक लड़की का हिट एंड रन एक्सीडेंट, एक नामी जर्नलिस्ट और उसकी कुक का जीवन बदलकर रख देता है... लेकिन क्या गुनाहगार पकड़ा जाएगा?

    Director :
    • सुरेश त्रिवेणी
    Cast :
    • विद्या बालन,
    • शेफाली शाह,
    • विधात्री बंदी,
    • इकबाल खान
    Genre :
    • थ्रिलर ड्रामा
    Language :
    • हिंदी
    Platform :
    • एमेज़ॉन प्राइम
    ‘जलसा’ रिव्यू: विद्या बालन और शेफाली शाह की फिल्म दिल के अन्दर एक टीस छोड़ जाएगी
    Updated : March 18, 2022 10:35 AM IST

    विद्या बालन और शेफाली शाह जैसे दो सुपर सॉलिड परफॉर्मर एक दूसरे के सामने हों, तो आधा मज़ा तो सोचने भर से आ जाता है। विद्या की पिछली रिलीज़ ‘शेरनी’ ने जहां लोगों को सन्न छोड़ दिया था, वहीं शेफाली ने ‘देल्ही क्राइम्स’ और ‘ह्यूमन’ जैसे शानदार शोज़ किए हैं। विद्या और डायरेक्टर सुरेश त्रिवेणी का पिछला प्रोजेक्ट ‘तुम्हारी सुलू’ भी काफी पसंद किया गया था। ये सारे कॉम्बिनेशन अब अमेज़न प्राइम की फिल्म ‘जलसा’ में एक बार फिर साथ हैं, और यकीन मानिए, ये फिल्म बहुत कमाल की है।

    हम सब कहीं न कहीं अपने आसपास की दुनिया का सेंटर खुद को मानते हैं। सारा मसला सारी दौड़भाग बस अपने इस संसार को खूबसूरत बनाए रखने के लिए है। लेकिन इसे सजाने के लिए आखिर हम किस हद तक स्वार्थी हो सकते हैं? सच को लेकर हर इन्सान के दिमाग में एक थ्योरी होती है लेकिन क्या लोग ठहरकर कभी ये सोचते हैं कि उनका ये ‘सच’ या फिर सच का अपना ये वर्ज़न कितना सुविधाजनक है?! 

    जलसा देखते हुए आप ये सब फील कर सकते हैं। फिल्म में जो कुछ होता रहा उसे देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे सीने पर कितना वजन है और एक किस्म की घुटन सी पूरी फिल्म में बनी रही। और वो शायद इस वजह से कि जो कुछ स्क्रीन पर चल रहा था वैसा रियल में होता है। मैंने सच में ऐसी चीज़ें होते हुए सुनी हैं। माया मेनन (विद्या बालन) एक जर्नलिस्ट हैं जो सच का चेहरा हैं। उनकी कुक रुकसाना (शेफाली शाह) की बेटी का एक रात भयानक एक्सीडेंट हो जाता है। वो बिना घर पर बताए, चुपके से बॉयफ्रेंड के साथ बाहर थी। 

    कोई है जो ये नहीं चाहता कि एक्सीडेंट करने वाला पकड़ा जाए। केस इन्वेस्टिगेट करने वाली पुलिस नहीं चाहती कि मामला आगे बढे। रुकसाना का पति भी नहीं चाहता कि मामला आगे बढ़े क्योंकि उसे ये सवाल भारी लग रहा है कि उसकी बेटी इतनी रात को बाहर क्यों थी? माया, जिसके डिफरेंटली एबल्ड बच्चे के लिए केयर का मतलब ही रुकसाना है, उसके लिए भी उसका अपना यूनिवर्स ही सबसे महत्वपूर्ण है।

     ऐसे में सच जानना कौन चाहता है? कुछ हद तक सिर्फ रुकसाना, लेकिन उसपर दबाव इतना है कि शायद वो भी चुप बैठ जाए। तो जिसने एक्सीडेंट किया, क्या वो बच जाएगा? नहीं। एक रिपोर्टर है राधिका (विधात्री बंदी) जो इस स्टोरी को जड़ से खोद देना चाहती है, लेकिन क्या वो ऐसा कर पाएगी? ‘जलसा’ लोगों के स्वार्थ की एक दिल तोड़ देने वाली स्टोरी है। इसे देखते हुए आपका दिल बैठता चला जाएगा और आप दुआ करने लगेंगे कि बस एक बार के लिए किसी तरह कोई आपका ये विश्वास बचा ले कि दुनिया में सच जैसा कुछ होता है!

    विद्या बालन और शेफाली शाह स्क्रीन को खा जाती हैं और जिन सीन्स में ये दोनों साथ में स्क्रीन पर हैं, उसमें आपको समझ आएगा कि ऑनस्क्रीन टेंशन दिखती कैसी है। आंखें और एक्सप्रेशन छोड़िये, दोनों की एक उंगली भी तभी हिल रही है जब उसकी ज़रूरत है। सपोर्टिंग कास्ट में दोनों बच्चे- सूर्या और शफिन ने बेहतरीन काम किया है। 

    श्रीकांत मोहन यादव हों या इकबाल खान या फिर रोहिणी हट्टनगदी, हरेक एक्टर ने कहानी में कंट्रीब्यूट किया है और राइटर प्रज्वल चंद्रशेखर को बधाई कि वो नैतिकता की अंदरूनी लड़ाई को अपनी स्क्रिप्ट में पकड़ पाए। सुरेश त्रिवेणी ने जलसा को बहुत संजीदगी से हैंडल किया है और इसे एक शानदार सिनेमा बनाया है।

    हो सकता है कुछ लोगों को सिर्फ 2 घंटे की ये फिल्म भी थोड़ी स्लो सी लगे लेकिन ‘जलसा’ आपसे स्टोरी में इन्वेस्ट होने की थोड़ी सी मेहनत मांगती है और उसके बाद आपके दिल पर असर करती चली जाती है। अंत तक आते आते फिल्म आपके दिल पर लम्बे समय के लिए छप जाती है।