‘जयेशभाई जोरदार’ रिव्यू: रणवीर सिंह ने दमदार एक्टिंग के साथ दिया एक बड़ा मैसेज; मगर फिल्म की राइटिंग में रह गई कमी

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    जयेशभाई जोरदार

    जयेश पटेल (रणवीर सिंह) ऐसे समाज से आता है जहां सिर्फ घर के पहली ही लड़की जिंदा रह पाती है, क्योंकि ‘पहली गलती माफ़’! जयेश की पत्नी मुद्रा फिर से प्रेगनेंट है और जांच में पता लग गया है कि पेट में लड़की है। क्या अपने इस बेटी-भक्षक समाज से मुद्रा और अपनी आनेवाली बच्ची को जयेश बचा पाएगा?

    Director :
    • दिव्यांग ठक्कर
    Cast :
    • रणवीर सिंह,
    • शालिनी पांडे,
    • बोमन ईरानी,
    • रत्ना पाठक शाह,
    • जिया वैद्य
    Genre :
    • सोशल ड्रामा
    Language :
    • हिंदी
    ‘जयेशभाई जोरदार’ रिव्यू: रणवीर सिंह ने दमदार एक्टिंग के साथ दिया एक बड़ा मैसेज; मगर फिल्म की राइटिंग में रह गई कमी
    Updated : May 13, 2022 03:45 PM IST

    इच्छाधारी नागिनों के बारे में हम सब टीवी शोज़ में देख-सुन चुके हैं, मगर रणवीर सिंह को उनके ऑनस्क्रीन कैरेक्टर्स में देखकर ऐसा लगता है जैसे वो खुद भी ऐसा ही कोई मिथ हैं, इच्छाधारी एक्टर! ‘गली बॉय’ का रैपर मुराद ‘83’ का कपिल देव, और ‘जयेशभाई जोरदार’ का जयेश देखकर लगता ही नहीं कि ये तीनों एक ही एक्टर के निभाए किरदार हैं। 

    गुजरात में बेस्ड इस कहानी के लिए रणवीर ने जैसे एक आम गुजराती आदमी को घोलकर पी गए हैं। लड़कियों को पेट में ही मार देने वाले एक समाज से जुड़ा बहुत ज़रूरी मैसेज देने में ‘जयेशभाई जोरदार’ अपना पूरा एफर्ट लगा देती है, लेकिन सवाल यही है कि क्या ये एफर्ट कामयाब होता है?

    कहानी शॉर्ट में समझें तो जयेश पटेल (रणवीर सिंह) ऐसे समाज से आता है जहां सिर्फ घर के पहली ही लड़की जिंदा रह पाती है, क्योंकि ‘पहली गलती माफ़’! जयेश की पत्नी मुद्रा फिर से प्रेगनेंट है और जांच में पता लग गया है कि पेट में लड़की है। क्या अपने इस बेटी-भक्षक समाज से मुद्रा और अपनी आनेवाली बच्ची को, कभी चींटी भी न मार पाने वाला जयेश बचा पाएगा?

    बोमन ईरानी फिल्म में रणवीर के पिता के रोल में हैं, जो गांव का सरपंच है और उसकी बहुत चलती है। बेटियों के लिए उसका मन कैसा है, वो इससे मझिए कि गांव में जब एक लड़की को लड़के रास्ते में तंग करते हैं तो वो लड़कियों का साबुन से नहाना बैन कर देता है, क्योंकि उसके हिसाब से लड़कियों के शरीर से खुशबु आएगी तो लड़कों का तो मन बहकेगा ही! 

    ऐसे गांव-समाज में जयेश की मां भी भयंकर पैट्रियार्कल सेटिंग में कंडीशन हो चुकी है और उसे भी सिर्फ ‘वारिस’ से मतलब है। जयेश की पहले से एक बेटी है और 6 एबॉर्शन के बाद उसकी बीवी फिर से प्रेगनेंट है और वो भी लड़की के साथ, ये पता चलते ही पटेल परिवार और उनका समाज क्या रियेक्ट करेगा ये सोच पाना कोई मुश्किल काम नहीं है।

    जयेश ने अभी तक एक बीच का रास्ता चुन रखा था और अपने यहां की रूटीन वाली मर्दानगी को मेंटेन करने के लिए नाटक कर के काम चला लेता था, लेकिन अब बात रियल हो गई है। और इससे बचने के लिए जयेशभाई का पहला इंस्टिंक्ट भागने का है। यकीन बला अब ऐसे तलने वाली नहीं है, कहीं न कहीं तो उसे अपने समाज-परिवार को कनफ्रंट करना ही पड़ेगा। और जब ऐसा होगा तो क्या होगा?

    कन्या भ्रूण ह्त्या, पैट्रियार्की में गले तक डूबा समाज, महिलाओं की कंडिशनिंग और दिमागी गुलामी जैसे गंभीर मुद्दे को यी फिल्म उठाती तो है, मगर इसका इलाज मजाकिया तौर-तरीके से करने की कोशिश करती है। ये भी चल जाता अगर फिल्म में सिचुएशनल कॉमेडी होती, मगर हंसी लाने वाले डायलॉग और उनका बचकाना ट्रीटमेंट इतना हल्का है कि फिल्म कुछ देर बाद उबाऊ लगने लगती है। डेब्यूटेंट डायरेक्टर-राइटर दिव्यांग ठक्कर की अनुभवहीनता स्क्रीनप्ले में दिखती है। 

    फर्स्ट हाफ में फिल्म एक टाइट माहौल तो बनाती है मगर दूसरे हाफ में प्रॉब्लम का सॉल्यूशन थोड़े बचकाने और आसान तरीकों से करने लगती है जिसका अंदाजा आप पहले ही लगा लेते हैं। ‘जयेशभाई जोरदार’ में एक दिक्कत ये है कि फिल्म जहां गंभीर होने लगते हैं, वहां पर ही पंच घुसाकर माहौल को हल्का करने की कोशिश की गई। ना तो समस्या की गंभीरता पूरी तरह आपको अन्दर तक हिला पाती है, और न वो पंच ही इतना अच्छा फूटता है कि आपको खुल के हंसी आ जाए। 

    ऊपर से क्लाइमेक्स में ‘पप्पी’ का एलिमेंट कुछ ज्यादा एब्सर्ड हो जाता है। रणवीर ने जयेश के किरदार को ओवर किए बिना उसे इस तरह निभाने में बहुत मेहनत की है कि उसपर आपका ध्यान बना रहे। मगर राइटिंग की कमी के चलते इस कैरेक्टर का इम्प्रेशन बहुत देर तक नहीं रह पाता। जयेश की पत्नी मुद्रा के रोल में शालिनी पांडे को बेचारा लगना था औरु ये काम वो ‘कबीर सिंह’ की ओरिजिनल फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ से ही बहुत अच्छा करती आ रही हैं। पता नहीं वो किसी अलग मजबूत रोल में कब दिखेंगी। 

    जयेश की पहली बेटी फिल्म का सबसे अच्छा और प्रैक्टिकल कैरेक्टर है जिसे जिया वैद्य ने बहुत अच्छे से किया है। वोमन ईरानी और रत्ना पाठक शाह जिस वजन के एक्टर हैं उन्होंने जयेश के पेरेंट्स के रोल में फिर से उसी वजन का काम किया है। सपोर्टिंग एक्टर्स का काम भी फिल्म में बहुत अच्छा है लेकिन बस राइटिंग के कमज़ोर होने से सब हल्का हो गया।

    कुल मिलाकर ‘जयेशभाई जोरदार’ सोशल मैसेज से भरी थोड़ी स्लो-स्पीड फिल्म बन गई है जिसे ओटीटी और टीवी पर शायद ज्यादा पसंद किया जाएगा। हालांकि रणवीर समेत सबकी एक्टिंग दमदार है, लेकिन मैसेज के साथ सटायर भरे जोरदार एंटरटेनमेंट की उम्मीद में थिएटर गया दर्शक थोड़ा निराश हो सकता है।