‘लूप लपेटा’ रिव्यू: तापसी पन्नू और ताहिर राज भसीन की नेटफ्लिक्स फिल्म चटपटी, मज़ेदार और अनोखी है!
तापसी पन्नू एक अलग ही लूप में फंसी हैं, जहां वो भागे ही जा रही हैं। ‘रश्मि रॉकेट’ में जो कुछ कमी रह गई थी वो तापसी ने ‘लूप लपेटा’ में भाग के पूरी कर ली है। और ताहिर राज भसीन के तो जैसे अब अच्छे दिन आ चुके हैं! दिसंबर में 83, जनवरी में ‘रंजिश ही सही’ और ‘ये काली काली आंखें’ और अब ‘लूप लपेटा’। वो न सिर्फ एक के बाद एक स्क्रीन पर नज़र आए हैं बल्कि हर बार उनके किरदार का एक अलग शेड और रंग था। सवाल ये था कि क्या इन दोनों की फिल्म ‘लूप लपेटा’ उतनी चटपटी हो पाएगी जितना कि ट्रेलर था?
तो जवाब है हां! ‘लूप लपेटा’ भरपूर मज़ेदार है और बहुत डिफरेंट है। ‘टाइम लूप’ के कॉन्सेप्ट पर बनी ये नेटफ्लिक्स फिल्म एक मज़ेदार और ‘क्वर्की’ कॉन्सेप्ट है, जिसमें रिस्क बहुत थे मगर वो कामयाब हो गए। सावी (तापसी) एक प्रोफेशनल एथलिट थीं और एक एक्सीडेंट के बाद अब उनका गोल्ड लाने का सपना अधूरा रह गया है। इसलिए वो सुसाईड करने निकल पड़ती हैं लेकिन सत्या (ताहिर राज भसीन) उन्हें बचा लेता है।
दोनों की लव स्टोरी शुरू हो जाती है। सावी के आने से सत्या अपनी जुए की आदत तो काबू में कर लेता है मगर एक झटके में लाइफ बदल जाने वाला चस्का बना रहता है और पंगे सत्या का एड्रेस खोजते हुए आ ही जाते हैं। सत्या अपने बॉस का एक बैग डिलीवर करने निकलता है और उसे खो बैठता है। इस बैग में थे 50 लाख रूपए। सत्या की जान पर बन आई है और अब उसे बचाना सावी के हाथ (पैर कहना ज्यादा सटीक रहेगा शायद!) में है। और वक़्त है सिर्फ 80 मिनट का।
सावी कामयाब नहीं हो पाती और सत्या का टिकट कट जाता है लेकिन कहानी फिर शुरू होती है और समझ आता है कि ये टाइम लूप है। इतनी कहानी तो हमें ट्रेलर से पता थी। फिल्म में पंगा ये है कि क्या टाइम-लूप में फंसी सावी, इस कहानी के लूज़-एंड खोजकर सत्या को बचा पाएगी या हर बार ये चक्कर चलता ही रहेगा?
कहानी के सपोर्टिंग कैरेक्टर और उनकी अपनी कहानियां ‘लूप लपेटा’ को मज़ेदार ट्विस्ट देते हैं। चाहे इश्क में डूबा टैक्सी-वाला हो, ज्यूलरी शॉप वाले ममलेश एंड संस। या फिर अपराधी को पकड़ते-पकड़ते मच्छी के मोलभाव में लग जाने वाला कॉप। सारे सपोर्टिंग कैरेक्टर्स बहुत दिलचस्प हैं।
‘लूप लपेटा’ में एक छोटी सी दिक्कत पेसिंग की है, जो कुछेक जगह पर स्लो लगने लगती है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो अनोखा कैमरा वर्क, चटपटे डायलॉग, मज़ेदार सपोर्टिंग कैरेक्टर्स और सब-प्लॉट ये सब फिल्म को एंटरटेनिंग बनाते हैं।
आकाश भाटिया की इस कहानी में इंडियन माइथोलॉजी का जो ट्विस्ट है वो भी फिल्म को यूनिक बनाता है। हालांकि ये कुछ लोगों को शायद पसंद न भी आए। फिल्म के कलर्स बहुत चटख हैं और गाने के साथ-साथ स्कोर भी कहानी को मस्ती देता है। तापसी और ताहिर राज भसीन का काम बहुत अच्छा है और ‘लूप लपेटा’ जल्दी ही उन फिल्मों में शामिल हो जाएगी जिन्हें आप बैठे-बैठे कभी भी लगाकर देख लेंगे।