'मेजर' रिव्यू: 26/11 के हीरो संदीप उन्नीकृष्णन को बेहतरीन श्रद्धांजलि है अदिवी शेष की फील्म, आपकी आंखें हो जाएंगी नम

    3.5

    मेजर

    26/11 के हीरो कहे जाने वाले, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की लाइफ पर बनी बायोपिक, जो उनकी प्रेरणादायक ज़िन्दगी और अप्रतिम पराक्रम की कहानी परदे पर उतारती है।

    Director :
    • शशि किरण टिक्का
    Cast :
    • अदिवी शेष,
    • सई मांजरेकर,
    • प्रकाश राज,
    • रेवती,
    • शोभिता धुलिपाला
    Genre :
    • बायोपिक
    Language :
    • हिंदी
    'मेजर' रिव्यू: 26/11 के हीरो संदीप उन्नीकृष्णन को बेहतरीन श्रद्धांजलि है अदिवी शेष की फील्म, आपकी आंखें हो जाएंगी नम
    Updated : June 04, 2022 09:11 AM IST

    ‘मेजर’ के ट्रेलर से ही ऑडियंस को समझ आ गया था कि अदिवी शेष की ये फिल्म, 26/11 के हीरो संदीप उन्नीकृष्णन को स्क्रीन पर उतारने में बहुत दम लगाने वाली है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में देशभक्ति का जज्बा जगाने वाली, आतंकी घटनाओं पर बनी और देश के वीर जवानों पर बनी कई फ़िल्में आ चुकी हैं। ऐसे में क्या अदिवी की ही लिखी ये फिल्म, एक हीरो की इंस्पायर करने वाली ज़िन्दगी और उसकी शौर्य गाथा के साथ न्याय कर पाती है?

    इस सवाल का बिना किसी शक जवाब है- हां। मुंबई के ताज होटल पर 2008 में हुए इस भयानक आतंकी हमले पर लिखी एक बुक में, संदीप के लिए हुए फैसलों के बारे में बहुत डिटेल में लिखा गया है। कैसे वो अकेले आतंकियों से भिड़े और उन्हें एक कोने में समेट दिया, जिससे होटल को आतंकी कब्जे से छुड़ाने में एक बहुत महत्वपूर्ण मदद मिली। इस पराक्रम भरे एक्ट में संदीप खुद शहीद भी हो गए लेकिन उनकी वीरता एक मिसाल बन गई।

    26/11 का ये हमला अधिकतर लोगों की याद में अब भी ताज़ा है और इसका एक्शन सीमा पर लड़े गए युद्धों की बजाय एक ऐसी सिचुएशन में हुआ था जिसे आम जनता ने अपनी आंखों से देखा था और सहम गई थी। ऐसे में ‘मेजर’ के लिए ये प्लॉट अपने आप में बहुत भयानक हो जाता है। लेकिन फिल्म के ट्रेलर और अदिवी शेष के इंटरव्यूज में इस बात पर जोर था कि ये कहानी, उस हमले में संदीप उन्नीकृष्णन के आखिरी वक़्त की नहीं, बल्कि उनकी ज़िन्दगी की कहानी है। जिसमें उनके माता-पिता (एक्टर्स प्रकाश राज और रेवती) हैं और एक प्रेमिका है नेहा (सई मांजरेकर)। अदिवी ने फ़िल्मी पर्दे पर संदीप की खूबसूरत ज़िन्दगी और एक व्यक्ति के तौर पर उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली घटनाओं को अपनी परफॉरमेंस से बखूबी जिया है।

    कहानी में बहुत कुछ है जो पूरी तरह फ़िल्मी लगता है और रियल कहानी को स्क्रीन पर उतारने में ली गई क्रिएटिव लिबर्टी आपको साफ़ नज़र आती है। संदीप की ट्रेनिंग के सीन्स उतने ज़ोरदार नहीं लगते जितनी खतरनाक असल में ये ट्रेनिंग होती है। और टेररिस्ट अटैक के टाइम आम जनता की जान पर दांव लगे होने के बीच सीनियर ऑफिसर का अपने जूनियर से ऑर्डर लेना और जो मना किया गया हो वही करना, फिल्मों में दिखाए आर्मी ऑपरेशन्स को कमज़ोर करता है और कई अच्छी फिल्मों में भी ये एक बड़ी समस्या रही है। ‘मेजर’ अगर इससे बच निकलती तो और भी जानदार हो जाती।

    मगर ये याद रखना ज़रूरी है कि इस कहानी को स्क्रीन पर लाने का मीडियम सिनेमा है और सिनेमा में अगर आपका हीरो स्क्रीन पर ‘लार्जर दैन लाइफ’ न लगे फिर वो फिल्म कैसी। और चूंकि ऐसी फिल्मों का मकसद स्क्रीन पर खड़े अपने हीरो की मोरल वैल्यूज से जनता को इंस्पिरेशन देना होता है, इसलिए ऐसे क्रिएटिव फ्रीडम का सम्मान किया जाना चाहिए। तीखी नज़र इसी बात पर रखनी होती है कि कहानी कहने के लिए लिया गया क्रिएटिव फ्रीडम जनता में कोई नेगेटिव चीज़ तो साथ में नहीं पहुंचा रहा। इस मामले में ‘मेजर’ अच्छे नंबर से पास तो होती है लेकिन डिस्टिंक्शन नहीं ले पाती। इसका कारण है संदीप की पत्नी नेहा के अकेलेपन का ट्रीटमेंट।

    जब संदीप अपनी ड्यूटी के लिए महीनों बाहर गुज़ार देता है तो एक कॉमन ट्रेजेडी से बिल्कुल अकेले लड़ रही नेहा को लेकर फिल्म के ट्रीटमेंट में मुझे सहानुभूति की कमी लगी। हालांकि दोनों की लव स्टोरी, संदीप का अपने पेरेंट्स से बॉन्ड और निजी ज़िन्दगी में भी ‘सोल्जर’ वैल्यूज़ के साथ उनका जीना, स्क्रीन पर देखने लायक चीज़ है।

    क्लाइमेक्स की तरफ बढ़ती हुई कहानी जब ताज होटल के अन्दर पहुंचती है, वहां हमारे हीरो का कद ऐसा हो जाता है कि उससे प्रेरित लोग अपने कमरे में उसका फोटो लगा सकते हैं। फिल्म देखने के लिए थिएटर में घुसे दर्शक को ये पता ही होगा कि अंत में हमारे हीरो को शहीद हो जाना है। लेकिन उन आखिरी क्षणों में उस हीरो को ग्लोरिफाई करने में फिल्म कोई कसर बाकी नहीं छोड़ती और उसके आखिरी फ्रेम में भी उसे एक अजेय योद्धा दिखाती है, जिसकी पीठ ज़मीन पर नहीं है। 

    डायरेक्टर शशि किरण टिक्का की तारीफ़ होनी चाहिए कि उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई है जिसका कोई भी मोमेंट फीका नहीं लगता। फिल्म का हरेक सीक्वेंस, हरेक सीन या तो इमोशंस से भरा है या हीरोइज्म से या रोमांस से या फिर ज़िन्दगी से! फिल्म के एडिटर्स की अलग से तारीफ़ बनती है कि उन्होंने हीरो को एलिवेट करने में अपने हुनर का शानदार इस्तेमाल किया है। ‘मेजर’ की एक्शन कोरियोग्राफी, कैमरा वर्क, साउंड डिजाईन, म्यूजिक और एक्शन सब कुछ तारीफ़ के काबिल है।

    अदिवी शेष ने अपनी परफॉरमेंस से संदीप को बेहतरीन जिया है और उनका एक-एक लुक एक-एक एक्ट जनता को थ्रिल देगा। कहानी को नैरेट करते संदीप के पिता के रोल में प्रकाश राज, फिल्म के आखिरी एक्ट में स्क्रीन पर जो करते हैं, उससे हमारा हीरो अमर हो जाता है। उनके साथ संदीप की मां के रोल में रेवती ने फिल्म को बहुत सच्चा इमोशन दिया है। ‘दबंग 3’ में सलमान खान के सामने डेब्यू करने वाली सई मांजरेकर का काम आपको हैरान करेगा। अदिवी के साथ कई सीन्स में उनकी परफॉरमेंस बहुत कड़क है। फिल्म में स्पेशल रोल प्ले कर रहीं शोभिता धुलिपाला का स्क्रीन टाइम थोड़ा है मगर उन्होंने भी अपना काम अच्छे से किया है।

    कुल मिलाकर ‘मेजर’ एक शानदार नायक की ज़िन्दगी को दमदार सलाम करती बायोपिक है और आर्मी के जवानों पर बनने वाली फिल्मों का स्टैण्डर्ड बहुत ऊपर कर देती है। अदिवी शेष ने पूरी कास्ट के साथ न सिर्फ सॉलिड परफॉरमेंस दी है, बल्कि एक बहरीन स्क्रीनप्ले भी लिखा है, जो आपकी तालियां-सीटियां और आंसू डिज़र्व करता है!