मिशन रानीगंज रिव्यू: अक्षय कुमार की फिल्म है फुल इमोशन, लगेगा असली का रेस्क्यू मिशन

    3.0

    मिशन रानीगंज

    ये फिल्म 1989 की उस दुर्घटना को दिखाती है जब पश्चिम बंगाल की रानीगंज खादान में 65 से मजदूर फंस गए थे और उनकी जान माइन इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने बचाई थी।

    Director :
    • टीनू सुरेश देसाई
    Cast :
    • अक्षय कुमार,
    • परिणीति चोपड़ा,
    • कुमुद मिश्रा,
    • रवि किशन,
    • वरुण बडोला और राजेश शर्मा।
    Genre :
    • रेस्क्यू ड्रामा
    Language :
    • हिंदी
    मिशन रानीगंज रिव्यू: अक्षय कुमार की फिल्म है फुल इमोशन, लगेगा असली का रेस्क्यू मिशन
    Updated : October 20, 2023 05:29 PM IST

    अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा स्टारर फिल्म 'मिशन रानीगंज' देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। ये फिल्म माइन इंजीनियर जसवंत सिंह गिल की बहादुरी और 65 खनिकों को बचाने की कहानी है। साल 1989 में पश्चिम बंगाल की रानीगंज स्थित एक कोयला खादान में नाइट शिफ्ट में 232 खनिकों की शिफ्ट लगी थी। लेकिन खादान के अंदर ब्लास्ट करने से अंदर पानी भर जाता है। अलार्म बजता है और तमाम खनिक निकल आते हैं लेकिन 71 उसके अंदर ही फंस जाते हैं। इनमें से जसवंत सिंह गिल 65 की जान बचा लेते हैं। अक्षय कुमार ने जसवंत सिंह गिल का रोल ही इस फिल्म में किया है। फिल्म सिर्फ और सिर्फ रेस्क्यू मिशन पर ही फोकस करती है। तो कैसी है ये फिल्म और क्या इसे सिनेमाघरों में देखने पैसा वसूल होगा या नहीं?

    फिल्म में क्या अच्छा?

    फिल्म की सबसे अच्छी बात ये है कि अगर आपको थोड़ा सा भी रेस्क्यू मिशन और इतिहास की कहानियों में इंट्रेस्ट है तो ये फिल्म आपको आखिरी तक सीट से बांधे रखती है। कहानी पता होते हुए भी आप शुरुआत से ही फिल्म से जुड़ जाएंगे और देखना चाहेंगे कि कैसे क्या हुआ था। अक्षय कुमार ने जसवंत सिंह गिल का काफी बढ़िया कैरेक्टर प्ले किया है। 

    अक्षय कुमार के अलावा बाकी एक्टर्स की बात करें तो परीणिति चोपड़ा हैं लेकिन उनके रोल को आप कैमियो ही समझिए। पूरी मूवी में मुश्किल से वो 10 मिनट के लिए ही नजर आती हैं। हालांकि फिल्म की डिमांड भी कुछ ऐसी है कि सारा फोकस रेस्क्यू मिशन पर लगाया गया है। 

    खादान मजदूर बने रवि किशन, वरुण बडोला और जमील खान समेत बाकी सपोर्टिंग कास्ट ने भी काफी बढ़िया काम किया है। इनके अलावा कुमुद मिश्रा, दिब्येंदु भट्टाचार्य, अनंत महादेवन, राजेश शर्मा और वीरेंद्र सक्सेना जैसे एक्टर्स को जितना रोल दिया गया है, उन्होंने बखूबी निभाया है। 

    पूरी फिल्म की कल्पना आप कर सकते हैं कि आगे क्या होगा फिर भी आप हर एक सीन को देखना चाहेंगे। फिल्म में इमोशन्स भरपूर है जो आपको कई जग झकझोर भी देंगे। फिल्म के डायेरक्टर टीनू सुरेश देसाई ने काफी अच्छे से खादान के अंदर की मजदूरों की घुटन और डर को महसूस कराया है। वहीं रेस्क्यू मिशन को देखते हुए आप ये फील करेंगे कि आप भी उस जगह पर हैं।

    कहां रह गई कमी?

    फिल्म में दाल चावल की तरह है ना कि मटन बिरयानी की तरह। यानी फिल्म में आपको सब कुछ सिंपल तरीके से परोसा गया है जिसका अपना ही एक अलग स्वाद है। एक्शन पसंद करने वाले लोग इस फिल्म से दूर रहना पसंद करेंगे। ये फिल्म संजीदगी से बनाई गई है, इसलिए इसकी अपनी एक अलग ऑडियंस रहने वाली है। 

    फिल्म की राइटिंग पर थोड़ा काम और किया जा सकता था। हालांकि ये फिल्म एक असल जिंदगी पर आधारित कहानी है लेकिन बॉलीवुड फिल्म मेकर्स कोई ना कोई ट्विस्ट ढूंढ ही लेते हैं और उस ट्विस्ट की इस फिल्म में कमी नजर आती है। 

    फिल्म के ग्राफिक्स यहां काफी कमजोर नजर आते हैं। जहां बॉलीवुड मे ही ब्रह्मास्त्र जैसी फिल्मों के ग्राफिक्स देख चुके हैं तो उम्मीदें बढ़ जाती हैं। 

    हालांकि अगर आप थिएटर्स पर इस फिल्म को देखने जाते हैं तो आप इसे वन टाइम जरूर देख सकते हैं और आपको इंडिया के एक रीयल हीरो जसवंत सिंह गिल की कहानी पता चलेगी।

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