‘राधे श्याम’ रिव्यू: प्रभास और पूजा हेगड़े की बर्फ से ठंडी केमिस्ट्री देख, आंखों में जल उठेंगे अंगारे!

    1.5

    राधे श्याम

    हाथ देखकर भविष्य जान लेने वाला विक्रमादित्य, क्या अपनी प्रेमिका प्रेरणा के लिए अपनी विद्या को दांव पर लगा सकता पाएगा?

    Director :
    • राधा कृष्ण कुमार
    Cast :
    • प्रभास,
    • पूजा हेगड़े,
    • भाग्यश्री,
    • सत्यराज
    Genre :
    • रोमंस-ड्रामा
    Language :
    • हिंदी
    ‘राधे श्याम’ रिव्यू: प्रभास और पूजा हेगड़े की बर्फ से ठंडी केमिस्ट्री देख, आंखों में जल उठेंगे अंगारे!
    Updated : March 11, 2022 03:13 PM IST

    प्रभास और पूजा हेगड़े की ‘राधे श्याम’ धमाकेदार बजट वाली, इस साल की पहली धांसू फिल्म है। फिल्म देखकर समझ आया कि मेकर्स का विज़न इस फिल्म के लिए कितना शानदार रहा होगा। ये फिल्म बहुत ग्रैंड है, बहुत ज्यादा ग्रैंड- निराशा के मामले में! क्योंकि ये ‘राधे श्याम’ उस किसी भी विज़न के आसपास भी नहीं फटकती, जिसकी उम्मीद आपको ट्रेलर देखकर लगी होगी।

    ईमानदारी से कहूं तो ‘राधे श्याम’ का ट्रेलर देखने के बाद ही मुझे डाउट होने लगा था कि रोमांस में प्रभास की वापसी कहीं शाहरुख़ का ‘जीरो’ वाला मुजस्समा न याद दिला दे। लेकिन फिल्म देखकर मुझे मेरे जजमेंट पर शर्मिंदगी हो रही है, क्योंकि ये मेरे अंदाज़े से भी कई गुना बड़ी डिसअपॉइंटमेंट है। क्यों? 

    क्योंकि ट्रेलर में एक बड़ा हिस्सा प्रभास के कैरेक्टर विक्रमादित्य पर फोकस कर रहा था, जो कि एक पामिस्ट है यानी हस्तरेखा विशेषज्ञ। जो आपका हाथ देखकर, जब आप स्पर्म थे उस समय से लेकर राख-मिट्टी हो जाने तक, सब जान जाता है। ‘राधे श्याम’ के ट्रेलर में लगा था कि विक्रमादित्य की ज्योतिष विद्या वाले साइड पर फिल्म ज्यादा ध्यान देगी। लेकिन फिल्म में बस बता दिया जाता है कि भैया ये तो सब जानते हैं इसलिए इनसे पंगे मत लेना। 

    इस बात से सबसे पहले घबराए फिल्म के राइटर्स और डायरेक्टर। क्योंकि फिर उन्होंने प्रभास के कैरेक्टर के साथ कुछ अलग करने की सोची ही नहीं। कहानी बस इतनी सी है कि इन भाईसाहब को पता है कि इनके हाथ में प्यार वाली रेखा ही नहीं है। इसलिए ये टॉक्सिक पुरुष केवल ‘वन नाईट एट अ टाइम’ (एक बार में एक रात की सोचेंगे) वाली ज़िन्दगी जिए जा रहा है। और कन्याओं को एंटरटेनमेंट का सामान समझता रहता है। 

    फिर आती हैं पूजा हेगड़े, उनकी ज़िन्दगी में अपना एक अपरिहार्य स्यापा है इसलिए फिल्म में उनकी एंट्री ही ‘कुछ भी’ है। ऐसी एंट्री वो इंडिया में करतीं तो अबतक रेल मंत्रालय नोटिस भेज चुका होता। और ये सब कुछ हो रहा है इटली में, जहां के बच्चे हिंदी वर्ड्स एकदम सही-सही बोलना पढ़ना जानते हैं। जैसे शायद वो भी कभी ‘अखंड’ भारत का हिस्सा रह चुका है। 

    खैर, तो अब स्यापा ये है कि डॉक्टर प्रेरणा उर्फ़ आदरणीया पूजा हेगड़े जी साइंस की वाली हो गयीं, प्रभास जी ज्योतिष वाले हो गए। और प्रभास जी के गुरूजी का मानना है ज्योतिष 99% साइंस ही है और 1% लोग ऐसे हैं जो अपनी किस्मत से अलग रास्ता निकाल लेते हैं। लेकिन विक्रमादित्य जी का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है और सबकुछ तय है, लिखा जा चुका है। 

    तो फिल्म में सारा खेल इस 1% का है। और इस 1% में ही फिल्म के राइटर-डायरेक्टर राधाकृष्ण कुमार ने जो खेला है उससे साइंस, ज्योतिष और सिनेमा तीनों का खून खौल जाएगा। सवा दो घंटे के करीब की ये फिल्म इतनी खपाऊ है कि आधे से ज्यादा टाइम आप ‘क्या? क्यों? कैसे?’ ही सोचते रहते हैं! 

    ऊपर से दोनों लीडिंग एक्टर्स की ऐसी ठंडी केमिस्ट्री तो आखिरी बार कब देखी थी ये याद भी नहीं आ रहा। इटली में बेस्ड इस कहानी के विजुअल्स इतने धांसू हैं कि रोम वाले खुद नहीं पहचान पाएंगे कि ये उनका ही शहर है। ठीक वैसे ही जैसे शायद फिल्म देखने के बाद कई प्रभास फैन्स खुद ये बोल दें कि ये हमारा प्रभास नहीं है। 

    और मेकर्स ज़बरदस्ती प्रभास से हिंदी में डबिंग करवाने पर क्यों तुले हैं यार? वो बन्दा फिल्म में पिया हुआ साउंड कर रहा है। क्यों कर रहे हो उसकी इमेज के साथ ऐसा भाई। हिंदी न आने में कोई शर्मिंदगी नहीं है। 

    प्लीज़ अगली बार शरद केलकर या कम से कम किस ढंग के आर्टिस्ट से प्रभास की डबिंग करवा लेना। नहीं मिले तो मुझे बताओ मैं रेफरेंस देता हूं। कुल मिलाकर ‘राधे श्याम’ प्रभास की ‘ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान’ और ‘जीरो’ है। देखनी है या नहीं ये फैसला अब पूरी तरह आपका है!