‘विक्रम हिटलिस्ट’ रिव्यू: कमल हासन की जोरदार वापसी; विजय सेतुपति, फहाद फासिल के साथ जमाया स्वैग और एक्शन का भौकाल

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    विक्रम हिटलिस्ट

    ब्लैक मास्क के पीछे छुपी एक गैंग ने कई लोगों की हत्याएं कर वीडियो जारी किया है जिसमें करण भी शामिल है। ऑफिसर अमर की स्पेशल टीम इसकी जांच कर रही है और पूरे मामले का कनेक्शन एक ड्रगलॉर्ड चन्दन से है। बाकी सारे मारे गए लोग तो पुलिस या सरकारी ऑफिसर थे, लेकिन एक आम आदमी करण की हत्या इस कड़ी में क्यों हुई?

    Director :
    • लोकेश कनगराज
    Cast :
    • कमल हासन,
    • फहाद फासिल,
    • विजय सेतुपति
    Genre :
    • एक्शन-थ्रिलर
    Language :
    • हिंदी
    ‘विक्रम हिटलिस्ट’ रिव्यू: कमल हासन की जोरदार वापसी; विजय सेतुपति, फहाद फासिल के साथ जमाया स्वैग और एक्शन का भौकाल
    Updated : June 06, 2022 12:50 PM IST

    कमल हासन, विजय सेतुपति और फहाद फासिल... एक्टिंग की दुनिया के 3 सुपर-स्ट्रांग पिलर, अगर एक फिल्म में एक साथ हों, तो आप क्या उम्मीद करेंगे? जो भी उम्मीद आपने की होगी, ‘विक्रम’ उसपर पूरी तरह खरी उतरेगी। हिंदी में ‘विक्रम हिटलिस्ट’ नाम से रिलीज़ हुई ये तमिल फिल्म एक्शन, स्वैग और भौकाल की टोटल पैसा वसूल गारंटी है।

    ‘विक्रम’ की कहानी को ज्यादा डिटेल में बताना, स्पॉयलर देने के खतरे से भरा हुआ है। लेकिन फिर भी मोटे तौर पर प्लॉट ये है कि कहानी की शुरुआत में आपको स्क्रीन पर एक पुलिस वाला मिलेगा जिसने एक ट्रेलर पकड़ा है। इसमें ड्रग्स नहीं, बल्कि ड्रग्स की बहुत बड़ी क्वान्टिटी तैयार करने में लगने वाला रॉ मैटेरियल है। 

    फिल्म में थोड़ी देर बाद आपको काले मास्क के पीछे छुपा एक गैंग दिखता है, जिसने एक आम आदमी, करण (कमल हासन) की हत्या कर वीडियो शेयर किया है और कहा है कि अभी तो ये शुरुआत है। मामले की जांच एक बिना वर्दी वाली स्पेशल, सीक्रेट जांच टीम को सौंपी गई है जिसे अमर (फहाद फासिल) लीड कर रहा है। आगे आपको पता चलता है कि काले मास्क वाला गैंग जिनकी हत्याएं कर रहा है, वो ड्रग्स रैकेट का पर्दाफ़ाश करने से जुड़े थे, और ट्रेलर पकड़ने वाला ऑफिसर करण का बेटा था, जिसे गैंग ने मार डाला है। 

    जो ट्रेलर पकड़ा गया था वो गायब है। वो ट्रेलर एक भयानक ड्रग लॉर्ड चन्दन (विजय सेतुपति) को जाना था, जो ड्रग बनाकर सप्लाई करता। अब चन्दन की ‘धोती धुरंधर’ गैंग किसी भी कीमत पर उस ट्रेलर की खोज में है। अमर उस काले मास्क वाली गैंग की खोज में। लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल अमर के सामने है, वो ये कि पुलिसवालों की हत्या कर रही काले मास्क वाली गैंग ने आखिर एक साधारण से आम आदमी करण की हत्या क्यों की? 

    इस सवाल का जवाब खोजने में अमर के सामने जो राज़ आता है, वही फिल्म का इंटरवल पॉइंट है। वहां से जो खूनी खेल शुरू होता है, पूरे सेकंड हाफ में ताबड़तोड़ विस्फोटक एक्शन और स्वैग की टेक्स्टबुक है। डायरेक्टर लोकेश कनगराज ने अपना एक यूनिवर्स तैयार कर डाला है जिसमें स्वैग और अपराध एक कॉमन एलिमेंट है, और इसी के बेस पर उनकी फिल्म ‘कैथी’ के किरदार यहां ‘विक्रम’ में भी नज़र आते हैं। इस तरह लोकी-यूनिवर्स बढ़ता चला जाता है, जिसमें एक और बहुत दमदार स्टार सूर्या की एंट्री होने वाली है ये किसी से छुपा नहीं है। 

    ‘विक्रम’ में सूर्या का जो कैमियो है, वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है और इस बात की गारंटी अभी से दे रहा है कि सीक्वल में मामला बहुत भयानक होने वाला है। कनगराज ने कमल हासन की अंडररेटेड फिल्म, 1986 में आई ‘विक्रम’ से इस फिल्म क जिस तरह जोड़ा है वो इतना एफर्टलेस है कि आप पुरानी वाली फिल्म देखना चाहेंगे। कमल हासन 2018 में आई ‘विश्वरूपम 2’ के 4 साल बाद ‘विक्रम’ से स्क्रीन पर वापसी कर रहे हैं और जिस तरह लोकेश ने उनका ऑरा स्क्रीन पर खड़ा किया है और उनके स्वैग को एक तरह से ट्रिब्यूट दिया है वो देखने लायक है। 

    हिंदी डबिंग में भी कमल की आवाज औरु उनके डायलॉग बहुत असरदार हैं। एक सनकी, अतरंगी, खौफनाक और ‘खिसके हुए’ ड्रगलॉर्ड के रोल में लोकेश ने, एक बार फिर से विजय सेतुपति के अपीयरेंस और उनकी इनक्रेडिबल एक्टिंग को जी-उठने का पूरा स्पेस दिया है वो कमाल है। लेकिन आधे से ज्यादा फिल्म में आप जिस एक आदमी के हुनर पर आहें भरते हुए निकाल देंगे वो हैं फहाद फासिल। फहाद अपनी आंखों और फेस एक्सप्रेशन से ही, ऑफिसर के रोल में वो खौफ पैदा कर देते हैं जो कोई साढ़े 6 फुट लंबा, बॉडीबिल्डर पुलिसवाला नहीं कर पाएगा। 

    टेक्नीकल चीज़ों में, फिल्म का एक्शन, सिनेमेटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर सब बहुत ज़बरदस्त है। साउथ में बन कर पैन-इंडिया रिलीज़ हो रहीं फ़िल्में, स्वैग और स्टाइल को स्क्रीन पर जिस तरह सेलिब्रेट कर रही हैं वो अब रूटीन तो होता जा रहा है। मगर थोड़ी-थोड़ी बारीकियों से उसे जिस तरह्ह एक-दूसरे से अलग किया जा रहा है वो कमाल है। 

    हालांकि, एक जानदार थ्रिलर का दावा करने वाली ‘विक्रम’ में भी आप कई ट्विस्ट दूर से ही सूंघ लेंगे और सेकंड हाफ में कई जगह ऐसा लगता है कि फिल्म को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदार सिर्फ एक्शन सेट-पीस पर आ गई है। लेकिन तभी डायरेक्टर आपको स्क्रीन पर उलझाने के लिए कुछ न कुछ नया स्वैग भरा एलिमेंट दे देते हैं।

    कुल मिलाकर ‘विक्रम’ एक ताबड़तोड़ एक्शन और थ्रिल भरी जानदार फिल्म है जिसे परफॉरमेंस के 3 पिलर्स कमल हासन, फहाद फासिल और विजय सेतुपति ने अपने मज़बूत कन्धों पर उठा रखा है। डायरेक्टर लोकेश कनगराज ने इस बात पर पूरा ध्यान दिया है कि स्वैग भरपूर रहे और स्क्रीन पर आपका ध्यान किसी न किसी तरह लगा रहे। तो जल्दी से देख डालिए...