‘बेस्टसेलर’ रिव्यू: मिथुन का जानदार डिजिटल डेब्यू और श्रुति, गौहर की सॉलिड परफॉरमेंस; लेकिन इस थ्रिलर का सस्पेंस है आसान!

    2.0

    बेस्टसेलर

    एक सेलेब्रिटी राइटर की बेस्टसेलर के किताब के पीछे छिपे हैं कई रहस्य और कई लाशें... क्या एक ट्रोल खोलकर रख देगा इनके राज़? या पुलिस खोल पाएगी गहरा खेल?

    Director :
    • मुकुल अभयंकर
    Cast :
    • मिथुन चक्रवर्ती,
    • श्रुति हासन,
    • अर्जन बाजवा,
    • सत्यजीत दुबे,
    • गौहर खान
    Genre :
    • सस्पेंस थ्रिलर
    Language :
    • हिंदी
    Platform :
    • एमेज़ॉन प्राइम
    ‘बेस्टसेलर’ रिव्यू: मिथुन का जानदार डिजिटल डेब्यू और श्रुति, गौहर की सॉलिड परफॉरमेंस; लेकिन इस थ्रिलर का सस्पेंस है आसान!
    Updated : February 18, 2022 10:45 AM IST

    कोई भी थ्रिलर कहानी लिखते हुए राइटर को ये ध्यान रखना होता है कि प्लॉट में इतना भी सस्पेंस न आ जाए कि दर्शक को शुरुआत में कुछ समझ ही न आए और वो बोर होकर उठ जाए। इसलिए कहानी में दर्शकों को फंसाने के लिए जगह-जगह दाने डाले जाते हैं। एमेज़ॉन प्राइम का नया शो 'बेस्टसेलर' इस मामले में बहुत अलग है, इस शो में आपसे कुछ छुपाया ही नहीं गया। काश ऐसी पारदर्शिता हमारी सरकारों में होती! 

    इस शो की की कहानी का अंदाजा लगाना इतना आसान है कि आधे शो यानी ठीक 4 एपिसोड पर आकर आपको लग सकता है कि अरे सारा सस्पेंस तो ख़त्म। लेकिन ऐसा नहीं है। शो आगे भी चलता है, भले बॉलीवुडिया फिल्म मेकिंग स्कूल टाइप स्क्रीनप्ले का अंदाजा लगाना आपके लिए बहुत आसान हो। मगर इस शो को देखने का सबसे अच्छा कारण अगर कुछ है तो वो है पूरी कास्ट की परफॉरमेंस। 

    बॉलीवुड के लेजेंड्स में शुमार मिथुन चक्रवर्ती इस शो से डिजिटल डेब्यू कर रहे हैं और एक बात तो है कि उनके लिए ये रोल टेलरमेड लगता है। हालांकि, उनके कैरेक्टर में कुछेक एलिमेंट्स हैं जो 90s की मसला फिल्मों से ज़बरदस्ती उधार लेकर घुसाए हुए लगते हैं। लेकिन परफॉरमेंस के मामले में शो की पूरी कास्ट का ज़ोर तो मानना पड़ेगा। जहां श्रुति हर बीतते एपिसोड के साथ और बेहतर होती जाती हैं, वहीं अर्जन बाजवा और गौहर खान पहले फ्रेम से पूरे फॉर्म में लगते हैं। 

    सत्यजीत दुबे की ये परफॉरमेंस भी याद रखने लायक है और उनके लिए आगे और दरवाज़े खोलेगी। सातवें एपिसोड में गौहर का एक सीन है जिसमें वो जितना रो रही हैं उतना ही हंस भी रही हैं। ये सीन देखकर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं। हालांकि सारे एक्टर्स के साथ ये गड़बड़ है कि उन्हें उनकी मेहनत लायक स्क्रिप्ट नहीं मिली। शो में अर्जन बाजवा एक सेलेब्रिटी राइटर हैं जिनकी बुक बेस्टसेलर हो गई है। बुक का नाम यहां लिखना सही नहीं होगा, लेकिन ये बनारस के बारे में अक्सर कही जाने वाली एक कहावत का पहला आधा हिस्सा है। 

    फिल्म में इस कहावत का क्रेडिट संत कबीर को दिया गया है और ये राइटिंग की सबसे बड़ी गलती और रिसर्च की कमी दिखाती है। साहित्य की काम-भर समझ और बनारस से ठीकठाक कनेक्शन रखने के नाते मैं हक से कह सकता हूं कि ये लाइन कबीर की लिखी हरगिज़ नहीं है। तो इस बेस्टसेलिंग राइटर का वो दौर गुज़र रहा है जहां उसे एक सॉलिड ओरिजिनल कहानी की तलाश है। तभी टकराती हैं उनकी बहुत बड़ी वाली फैन श्रुति हासन। 

    श्रुति की बातें और उसकी कहानी में राइटर साहब दिलचस्पी लेने लगते हैं और बात निकलती है तो दूर तक चली जाती है। दूसरी तरफ इस राइटर की बीवी, यानी गौहर खान अपने एक इंटर्न (सत्यजीत) से इम्प्रेस हुई चली जा रही हैं। लेकिन कहानी में और भी एलिमेंट्स हैं जो दिखते नहीं मगर असर बहुत गहरा रखते हैं जैसे कि एक ट्रोल जिसका यूज़र नेम है ‘वजीर इज गॉड’ और वो राइटर साहब से घनघोर नफरत करता है। इतनी कि उनका सबकुछ तबाह कर देना चाहता है और सबसे पहला अटैक राइटर की फैन पर करता है। 

    केस की जांच करने आ जाते हैं कॉप मिथुन और उनकी असिस्टेंट सोनाली कुलकर्णी। सोनाली के कैरेक्टर से कहानी में थोड़ा और काम लिया गया होता तो उनकी एक्टिंग का लोहा और मजबूती दिखा पाता। इधर मामले की जांच होनी शुरू होती है और उधर मामला उलझता चला जाता है और संगीन हो जाता है। फिर शुरू होता है खेल जिसके क्लू आप बहुत जल्दी समझने लगते हैं और वो स्क्रीन पर एकदम टिपिकल फ़िल्मी स्टाइल में ओवर-ड्रामेटिक बैकग्राउंड स्कोर के साथ चलता रहता है। 

    शुरू के 4-5 एपिसोड में कहानी आपके सामने लगभग पूरी खुल जाती है, लेकिन अब स्क्रीन पर क्राइम सॉल्व होता हुआ देखने के लिए और कैरेक्टर्स के बीच का इंटरेक्शन देक्खने के लिए आप टिक जाते हैं। इसलिए ये शो कई माड़ी-मोटी कमियों के बावजूद देखा तो जा सकता है। शो के फर्स्ट हाफ़ में श्रुति के कैरेक्टर का लहा और बोली आपको थोड़ा इरिटेट कर सकती है, लेकिन धीरज धरें, आगे मामला समझ आएगा।

    कुल मिलाकर ‘बेस्टसेलर’ में कुछ टिपिकल क्लीशे और पहले से अंदाजा लग जाने वाला सस्पेंस होने के बावजूद, एक्टर्स का बेहतरीन काम, काफी दिनों के बाद लेयर्ड न सही, थोड़ा सा लेयर्ड की एक्टिंग करने वाली ये कहानी देखी तो जा सकती है।