‘ब्लडी ब्रदर्स’ रिव्यू: जयदीप अहलावत और जीशान अयूब की सीरीज बोरियत की परिभाषा है!

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    ब्लडी ब्रदर्स

    दो भाईयों से हुए एक कार एक्सीडेंट में एक व्यक्ति की मौत हो गई है, लेकिन दोनों सफाई से बच निकले हैं... क्या ये सच बाहर आएगा? और जब आएगा तो क्या होगा?

    Director :
    • शाद अली
    Cast :
    • जयदीप अहलावत,
    • जीशान अयूब,
    • टीना देसाई,
    • श्रुति सेठ,
    • सतीश कौशिक
    Genre :
    • कॉमेडी थ्रिलर
    Language :
    • हिंदी
    Platform :
    • ज़ी5
    ‘ब्लडी ब्रदर्स’ रिव्यू: जयदीप अहलावत और जीशान अयूब की सीरीज बोरियत की परिभाषा है!
    Updated : March 18, 2022 11:25 AM IST

    जयदीप अहलावत, जीशान अयूब, श्रुति सेठ, ‘सेक्रेड गेम्स’ में काटेकर बने जीतेन्द्र जोशी, माया अलघ और सतीश कौशिक; ज़ी5 की सीरीज ‘ब्लडी ब्रदर्स’ में सॉलिड एक्टर्स की पूरी एक जमात है और साथ में एक मर्डर मिस्ट्री है। सोचिए कितना कुछ इंटरेस्टिंग हो सकता है। लेकिन सवाल ये है क्या ऐसा हुआ?

    ना, बिल्कुल नहीं। शाद अली के खाते में एक से एक झिलाऊ प्रोजेक्ट्स जुड़ते जा रहे हैं और उसी लिस्ट को लंबा करती है उनकी नयी वेबसीरीज ‘ब्लडी ब्रदर्स’। एक तो पिछले कुछ टाइम में इतने सारे शोज़ और फिल्मों की कहानी पहाड़ों पर बनी है कि मैं अब कभी चैन से घूमने ऋषिकेश भी नहीं जा पाऊंगा। डर लगता रहेगा कि कहीं कोई मर्डर न हो जाए। 

    और उसपर कमाल ये है कि इस हफ्ते ये दूसरी रिलीज़ है जिसमें कहानी का मसला कार एक्सीडेंट से शुरू हो रहा है। विद्या बालन और शेफाली शाह की फिल्म ‘जलसा’ में भी कहानी कार एक्सीडेंट से ही शुरू हो रही है, ये भी इसी हफ्ते रिलीज़ हो रही है। मतलब, पहाड़ पर तो जाना ही नहीं है और अगर गलती से चले गए तो गाडी खुद नहीं चलानी है! ‘ब्लडी ब्रदर्स’ के नाम से अगर आपको समझ न आया हो तो बता दूं ये दो भाइयों की कहानी है। 

    अब दो भाई हैं, तो एकदम अलग अलग ही होंगे। दोनों एक पार्टी से लौट रहे हैं और इनसे एक एक्सीडेंट हो जाता है सैमुएल अल्वारेज़ (असरानी) का। दोनों किसी तरह इस कलेश से सफाई से बच निकलते हैं लेकिन 4 दिन बाद मामले का रायता फैलने लगता है। आयर उए फैलता ही चला जाता है। बीबीसी के अवार्ड विनिंग शो ‘गिल्ट’ का इंडियन एडाप्टेशन ‘ब्लडी ब्रदर्स’ वैसे तो कॉमेडी थ्रिलर होने का दावा करता है। 

    लेकिन मैं ईमानदारी से बताऊं तो लगभग 4 घंटे का ये शो देखने से अच्छा है इतनी ही देर भूसे के ढेर में राई का दाना खोजा जाए। मुझे यकीन है बाद वाली मेहनत ज़रूर कामयाब होगी। थ्रिलर के नाम पर भी जो है वो इतना सस्ता वाला थ्रिलर है कि हद नहीं। ऐसा लगता है कि शो को लिखने में मेहनत ही नहीं हुई। जो चल रहा है बस चले जा रहा है। 

    वो तो शुक्र है कि जीशान और जयदीप की केमिस्ट्री और उनकी सॉलिड एक्टिंग ने कम से कम इस उम्मीद में जगाए रखा कि कुछ हो सकता है। जो होना शुरू हुआ भी, लेकिन एकदम आखिरी के एपिसोड में। टेक्निकली भी ये शो बहुत ख़ास नहीं है कि चलो कैमरा की नई मूवमेंट्स देखकर ही आदमी मन बहला ले। शो के बीच में सतीश कौशिक की एंट्री होती है जो किसी किस्म के माफिया लीडर टाइप हैं। 

    उन्हें ऐसे ऐसे डायलॉग दिए हैं जिन्हें सुनकर आपको हंसी नहीं आएगी, मगर लगता है कि उन्हें खुद बोलते हुए हंसी ज़रूर आई होगी कि अबे ये क्या बुलवा रहे हो मुझसे! खैर ज़ी5 का ये शो इतना होपलेस केस है कि इसके बारे में बात करना भी टाइम की बर्बादी है। फिर भी मुझे लगता है कुछेक लोग तो जीशान और जयदीप की मुहब्बत में देख जाएंगे।