‘रॉकेट बॉयज़’ रिव्यू: ‘नए भारत’ के सपनों और न्यूक्लियर पावर की पॉलिटिक्स को दमदार तरीके से दिखाता है सोनी लिव का नया शो!

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    रॉकेट बॉयज़

    भारत के एटॉमिक पावर बनने की शुरुआत से जुड़ी ये कहानी, देश के दो आइकॉनिक वैज्ञानिक- होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के सफ़र को दिखाती है।

    Director :
    • अभय पन्नू
    Cast :
    • जिम सर्भ,
    • इश्वाक सिंह,
    • दिब्येंदु भट्टाचार्य,
    • रेजीना कसान्ड्रा
    Genre :
    • ड्रामा
    Language :
    • हिंदी
    Platform :
    • सोनी लिव
    ‘रॉकेट बॉयज़’ रिव्यू: ‘नए भारत’ के सपनों और न्यूक्लियर पावर की पॉलिटिक्स को दमदार तरीके से दिखाता है सोनी लिव का नया शो!
    Updated : February 04, 2022 12:52 PM IST

    ‘न्यू इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी टर्म्स जो पिछले कुछ सालों से समाचारों और राजनीति में ईमानदारी से भी ज्यादा इस्तेमाल हुई हैं, देश की आज़ादी के वक़्त उनका क्या मतलब रहा होगा? ताज़ा-ताज़ा ब्रिटिश शासन से छूटकर पहली आज़ाद सांस लेता देश, क्या सपने देखता रहा होगा और उसकी क्या महत्वकांक्षाएं रही होंगी? और इस नए भारत ने आज़ादी के साथ ही न्यूक्लियर दौड़ के बीच खुद की जगह बनाने के लिए क्या कुछ किया होगा? ये सारे सवाल एक देश के तौर पर हमारे इतिहास केबहुत महत्वपूर्ण सवाल हैं। और इन सवालों के जवाब देती है ‘सोनी लिव’ की नई वेब सीरीज ‘रॉकेट बॉयज़’।

    ‘रॉकेट बॉयज़’ आपको ये पूरा मामला दो लोगों की कहानी के ज़रिए बताती है- होमी भाभा और विक्रम साराभाई। ये दो नाम भारत के न्यक्लियर मिशन, एटॉमिक रिसर्च और स्पेस प्रोग्राम में नींव की ईंट हैं। और इनकी कहानी के जरिए ‘रॉकेट बॉयज़’ आपको एक गुलाम देश से न्यूक्लियर शक्ति बनने की दौड़ में शामिल होने की कहानी बताती है।

    ये कहानी कितनी ईमानदार है और फैक्ट्स से जुड़ी है, ये जज कर पाना हम सभी के लिए मुश्किल है क्योंकि सच्चाई यही है कि अधिकतर लोगों ने इस कहानी को कभी डिटेल में जानना ही नहीं चाहा। और इस नज़रिए से ‘रॉकेट बॉयज़’ एक बहुत दमदार शो बन जाता है क्योंकि इसे देखने के बाद आप बहुत कुछ जानना, पढ़ना और गूगल करना चाहेंगे। साथ में इश्वाक सिंह और जिम सर्भ के काम में वो दम है जो दर्शकों को स्क्रीन से चिपकाए रखता है। लेकिन पहली बार डायरेक्टर की चेयर संभाल रहे अभय पन्नू को इस बात का पूरा क्रेडिट दिया जाएगा कि उन्होंने पहली ही बार में एक ऐसा शो दिया है जिसे लम्बे समय तक याद किया जाएगा।

    कहानी में होमी भाभा (जिम सर्भ) और विक्रम साराभाई (इश्वाक सिंह) दोनों की ही शुरुआत विदेश में साइंस रिसर्च कर रहे और पढ़कर आए दो वैज्ञानिकों के रूप में होती है। दोनों का फैमिली बैकग्राउंड बहुत मज़बूत है और दोनों बड़े परिवारों के बच्चे हैं। मतलब, ये उस प्रिविलेज्ड बैकग्राउंड से आए दो बड़े किरदार हैं, जिससे हाल के सालों में मिडल-क्लास परिवारों ने नफरत करना सीखा है। 

    ‘रॉकेट बॉयज़’ की खासियत ये है कि शो भाभा और साराभाई के इस प्रिविलेज क्लास को एक आम दर्शक की रूचि के हिसाब से ‘सूटेबल’ बनाने की कोशिश नहीं करता। हालांकि, दोनों किरदारों के स्टोरी-आर्क में ये ‘क्लास कॉन्शसनेस’ अलग-अलग है। जहां होमी का किरदार ज्यादा चमकदार और ‘शोमैन’ टाइप है, और नई रिसर्च के लिए अपने क्लास और कनेक्शंस को यूज़ करने से संकोच नहीं करता। वहीं साराभाई आम आदमी की भलाई और सामाजिक न्याय के दायरे में रहकर इतना सोचते हैं कि एक बार को तो लगभग ये लगने लगता है कि जैसे उनमें प्रिविलेज्ड होने का गिल्ट है।

    जहां भाभा, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु (रजित कपूर) और देश-विदेश के लीडिंग वैज्ञानिकों से अपनी करीबी का फायदा उठाने से नहीं हिचकते; वहीं एक समय ऐसा भी आता है जब साराभाई अपने ‘रॉकेट उड़ाने’ के सपने को किनारे रख, टेक्सटाइल रिसर्च में घुस जाते हैं। लेकिन कहानी के इस दोहरेपन को जोड़ता है भविष्य के भारत के लिए एक बड़ा वैज्ञानिक लक्ष्य- एटॉमिक पावर बनना। इन दो ‘रॉकेट बॉयज़’ के साथ जब तीसरा ‘मैड साइंटिस्ट’ जुड़ता है तो आप शो से और ज्यादा जुड़ने लगते हैं, इसका नाम है- ए पी जे अब्दुल कलाम।

    विक्रम और भाभा की पर्सनल लाइफ और रिलेशनशिप शो को एक अलग रंग देती है।

    शो के क्रेडिट्स में साराभाई के परिवार के योगदान को एकनॉलेज किया गया है यानी उन्होंने इस कहानी को उतारने में योगदान तो दिया ही होगा। और इसलिए ये भी एक दिलचस्प बात हो जाती है कि देश के आइकॉन्स में शुमार इन दो लोगों के व्यक्तिगत जीवन से जुड़े विवादित हिस्से भी शो में पूरी तरह शामिल हैं। 

    अंत की तरफ तड़का लगता है बड़ी ‘कॉन्स्पीरेसी थ्योरीज’ का। जो कितनी सच हैं कितनी नहीं ये कोई नहीं जानता लेकिन स्क्रीन पर दर्शक का ध्यान फंसाने में कामयाब तो होती ही हैं। हालांकि कुछेक जगह पर, खासकर साराभाई की पर्सनल लाइफ दिखाने में ‘रॉकेट बॉयज़’ मेन कहानी से थोड़ा इधर-उधर जाता ज़रूर फील होता है लेकिन कुछ ही मिनट में वापिस पटरी पर लौट आता है।

    शो की सपोर्टिंग कास्ट में दिब्येंदु भट्टाचार्य, सबा आज़ाद, रेजीना कसान्ड्रा और केसी शंकर भी बहुत दमदार लगते हैं। अब्दुल कलाम के रोल में, अभी शो मेमन नए-नए आए अर्जुन राधाकृष्णन भी इम्रेस करते हैं और कहानी की दिशा ये बताती है कि अगले सीज़न में उनका किरदार और बड़ा होने वाला है।

    कुल मिलाकर कहा जाए तो, सोनिल लिव का नया शो ‘रॉकेट बॉयज़’ एक सॉलिड और बांधकर रखने वाला ड्रामा है जो ज़रूर देखा जाना चाहिए। हालांकि शो की अपनी कुछेक दिक्कतें हैं, लेकिन कुछ भी इतना बड़ा नहीं है कि आपका ध्यान बंट जाए।