‘रूद्र’ रिव्यू: अजय देवगन की शानदार एक्टिंग ने उनकी डेब्यू वेब सीरीज को बनाया दमदार; अंधेरों में उतरती कहानी है काफी डार्क

    3.0

    रूद्र: द एज ऑफ़ डार्कनेस

    ऑफिसर रुद्रवीर सिंह के पास पेंचीदा केसेज़ को हल करने की एक अलग सेन्स है जो किसी अपराधी से कम नहीं है, लेकिन क्या उनकी ये क्रिमिनल सोच उन्हें हमेशा फायदा ही देकर जाएगी?

    Director :
    • राजेश मापुस्कर
    Cast :
    • अजय देवगन,
    • अतुल कुलकर्णी,
    • राशि खन्ना
    Genre :
    • क्राइम थ्रिलर
    Language :
    • हिंदी
    Platform :
    • डिज्नी प्लस हॉटस्टार
    ‘रूद्र’ रिव्यू: अजय देवगन की शानदार एक्टिंग ने उनकी डेब्यू वेब सीरीज को बनाया दमदार; अंधेरों में उतरती कहानी है काफी डार्क
    Updated : March 04, 2022 04:18 AM IST

    अजय देवगन को वेब सीरीज में देखना बॉलीवुड फैन्स के लिए किसी सपने से कम नहीं है। और ऊपर से शो का प्रॉमिस हो कि एक डार्क कहानी देखने को मिलेगी तो अजय के फैन्स अपने एक्साइटेड हो जाएंगे। ‘काल’ और ‘खाकी’ वाले स्टाइल में अजय को देखे हुए फैन्स को वैसे भी एक बहुत लम्बा अरसा हो गया है। 

    ‘दृश्यम’ में उनका कैरेक्टर ज़रूर डार्क हुआ लेकिन ये भी साल 2015 की बात हो चुकी है यानी 7 साल पुरानी। ऐसे में अजय के साथ डार्क शब्द जुड़ा देख कर ही आधा थ्रिल आ जाता है। अजय के काम पर तो कभी किसी ने शक किया ही नहीं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या अजय की डेब्यू वेब सीरीज उन वादों और भौकाल को पूरा करती है जिसका दावा ट्रेलर में किया गया था?

    ब्रिटिश सीरीज 'लूथर' के ऑफिशियल हिंदी रीमेक 'रूद्र' में छः एपिसोड हैं और इनमें पांच अलग-अलग क्राइम स्टोरीज़ हैं। जहां पहली चार सीधे मर्डर से जुड़ी हैं, वहीं पांचवी एक लूट से जुड़ी है जो आख़िरकार बदलती मर्डर में ही है। चारों मर्डर स्टोरीज़ में एक न एक वीयर्ड एलिमेंट है। लेकिन सबसे पहले ये शो जहां से शुरू होता है, यानी जहां जय देवगन की डार्कनेस से हमें पहला इंट्रो करवाया जाता है, उसपर शो दोबारा नहीं लौटता। 

    उस सस्पेंस को शायद अगले सीजन के लिए बचाकर रखा गया है। चारों मर्डर स्टोरीज़ में किलर्स को हत्याओं से कुछ न कुछ सुख मिलता है। पहली को छोड़कर बाद की तीन सीरियल किलर्स पर बेस्ड हैं और इतना तो सभी जानते हैं कि सीरियल किलर्स की अपनी एक सनक होती है। लेकिन ‘रूद्र: द एज ऑफ़ डार्कनेस’ की कमजोरी ये है कि ये ऑडियंस को सबकुछ कटा-समझाता चलता है, लगभग बोल-बोलकर। और एक डार्क थ्रिलर स्टोरी में ये टिपिकल बॉलीवुड क्लीशे हरकतें अब नहीं जमतीं। 

    पहले तीन एपिसोड्स को देखकर तो आपको बॉलीवुड के थ्रिलर-सस्पेंस पर बनीं कई फ़िल्में याद आ सकती हैं। शहर में कोई चौंकाने वाली ह्त्या, उसकी जांच करने वाला एक ऑफिसर जो सही-गलत को किनारे रखकर बस केस हल करना जानता है। और उस ऑफिसर की ज़िन्दगी में पर्सनल पंगे। 

    शो के पहले तीन एपिसोड थोड़े लम्बे लगते हैं और इनका सस्पेंस हल करने में शो के राइटरर्स- ईशान त्रिवेदी, हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने जैसे जल्दी दिखा दी। चौथे एपिसोड तक आप सब्र करते हैं तो आपको आगे फल मीठा मिलेगा और यहां से माहौल जमना शुरू होता है। और इसका सीधा कारण ये है कि यहां से अजय का किरदार एक शेड डार्क होना शुरू होता है और उसके लिए किसी के इमोशन से ज्यादा ज़रूरी है केस हल करना, चाहे कैसे भी हो। 

    पांचवें एपिसोड में लूट की कहानी जब मर्डर में बदलती है और मामला बिगड़ता है तो आंच खुद अजय की ज़िन्दगी तक आने लगती है और इसीलिए अंत के दो एपिसोड आपका ध्यान सबसे ज़्यादा खींचते हैं। शुरूआती एपिसोड्स में जहां अजय सिर्फ केस सॉल्व कर रहे हैं, वहां राइटिंग उन्हें ग्राउंड पर उतरकर कोई बहुत इंटेलिजेंट जाँच करते नहीं दिखते, वहीँ गिने-चुने बॉलीवुड थ्रिलर फंडे कि कॉल ट्रेस कर लो, सीसीटीवी देख लो, ऑफिस में बैठे-बैठे ही केस निपटा दो। और न ही ग्राउंड पर कहीं कुछ एक्शन देखने को मिलता है। 

    दो एपिसोड्स में नपुंसकता और चाइल्ड अब्यूज जैसे सेंसिटिव टॉपिक को बहुत गलत तरीके से ट्रीट किया गया जो अखरता है। और कुछेक जगह बहुत बचानी गलतियां हैं- जैसे एक विक्टिम जिसकी जीभ काट के धमकी के तौर पर भेज दी गई है, कहानी में कई लोग उसके कुछ बोलने की बात कर रहे हैं। लेकिन शो की असली जान है कास्ट की परफॉरमेंस। 

    अजय देवगन ने पिछले कुछ सालों में अपनी सबसे जानदार एक्टिंग यहां की है। अपनी फ़ॉर्मूला बॉलीवुड फिल्म्स की तरह अजय ने यहां सिर्फ डायलॉग डिलीवरी नहीं की। बल्कि एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज में खेला और यहां इनके डायलॉग बोलने का अंदाज़ भी मजेदार है। उनके साथ एक रहस्यमयी से किरदार में नज़र आईं राशि खन्ना का काम भी ज़ोरदार है। स्क्रीन पर वो आपकी नज़रें और दिमाग दोनों पर असर करने लायक दिखती हैं। 

    अतुल कुलकर्णी को पहले 3 एपिसोड में देखकर आप सोच सकते हैं कि इन्हें वेस्ट कर दिया गया है लेकिन अंत के दो एपिसोड तक रुकिए, आप हिल जाएंगे। अश्विनी कालसेकर, सत्यदीप मिश्रा और आशीष विद्यार्थी भी अपने रोल्स में फिर हैं, लेकिन लगभग एक दशक बाद स्क्रीन पर नज़र आईं ईशा देओल को देखकर आप हैरान हो सकते हैं कि वो इतने साल बाद भी उतनी ही फ्लैट लग रही हैं। 

    लेकिन कुल मिलाकर अजय देवगन को एक नए डार्क अंदाज़ में देखने के लिए और कुछ बेहद डिस्टर्ब करने वाली मर्डर स्टोरीज़ के लिए डिज्नी प्लस हॉटस्टार का शो ‘रूद्र: द एज ऑफ़ डार्कनेस’ देखा जा सकता है।