ये काली काली आंखें रिव्यू: ढाई घंटे की फिल्म को 8 एपिसोड्स में पेश करती है ये सीरीज, बेहद स्लो

    2.5

    ये काली काली आंखें 

    2022, हिंदी, रोमांटिक, थ्रिलर, सस्पेंस

    थ्रिलर और सस्पेंस से भरी फिल्म

    सिद्धार्थ सेनगुप्ता

    ताहिर राज भसीन, श्वेता त्रिपाठी, आंचल सिंह, सौरभ शुक्ला, ब्रिजेंद्र काला

    ये काली काली आंखें रिव्यू: ढाई घंटे की फिल्म को 8 एपिसोड्स में पेश करती है ये सीरीज, बेहद स्लो
    Updated : January 14, 2022 07:56 PM IST

    पिछले दिनों ताहिर राज भसीन और श्वेता त्रिपाठी स्टारर नेटफ्लिक्स शो ‘ये काली काली आंखे’ का ट्रेलर सामने आया था। ये ट्रेलर इतना सस्पेंस से भरा था कि अपने शायद अपने फोन कैलेंडर में सीरीज को देखने का अलार्म फिक्स कर लिया होगा। लगा था इस साल की शुरुआत एक धमाकेदार, ट्विस्ट और टर्न से भरी एक शानदार सीरीज से होगी। लेकिन सीरीज देखने के बाद आपके ये सारे अरमान चूर चूर हो सकते हैं।

    इस सीरीज को देखने के बाद आप समझ सकेंगे कि एक 3 घंटे की फिल्म को जब आठ एपिसोड की सीरीज के रूप में पेश करना होता है तो उसमें हर फालतू के सीन को स्लो मोशन में दिखाया जाता है। सीरीज की शुरुआत से लेकर एंड तक बंधे रहने के लिए आपको कई बार अपना मन मारना पड़ेगा। और जब ये रिव्यू आप तक पहुंचाना हो तो और ज्यादा मन लगा कर सीरीज पर ध्यान देना पड़ता है कि कुछ अच्छा लिखा जा सके। तो अच्छा ये है कि कहानी और बीच बीच में जो डायलॉग सुनाई देते हैं वो शानदार हैं। बस स्क्रीनप्ले स्लो होने के चक्कर में वो आपको उतना अच्छे से समझ नहीं आयेंगे।

    ये एक सस्पेंस से भरी कहानी थी जिसके हर सीन में ताहिर उर्फ विक्रांत हो देख कर आप उनकी सोई हिम्मत जगाकर एक हीरो बनने के प्रोत्साहित करते हैं। क्योंकि हम बॉलीवुड प्रेमी रहे हैं। हीरो हमेशा से गुंडों के खिलाफ होता है। लेकिन इस सीरीज का हीरो थोड़ा डरपोक है। आठ एपिसोड की इस सीरीज में वो एक भी हिम्मत का काम नहीं करते जिसे देखकर लगे कि वो हीरो हैं। ये कहानी बॉलीवुड कई फिल्मों में आप देख चुके हैं। एक ताकतवर मंत्री, उसकी बिगडैल बेटी। एक राईट हैंड आदमी, एक लेफ्ट हैंड गुंडा। हीरो और उसका परिवार। तो इस सीरीज में सिर्फ एक डरपोक हीरो के कुछ भी नया नहीं है। उपर से ये सीरीज इतनी स्लो है जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। कुछ एपिसोड तो इतने बोरिंग है कि आप उनके स्किप भी कर दें तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं कुछ एपिसोड्स सच में शानदार हैं। आपकी आंखें नहीं हटेगी। खासकर लास्ट के कुछ एपिसोड्स मज़ेदार हैं।

    परफॉरमेंस की बात करें तो ताहिर राज भसीन लीड रोल में हैं। उनकी परफॉरमेंस अच्छी है। लेकिन वो थोड़ी और हीरोगिरी दिखाते तो कहानी में दम लगता। श्वेता त्रिपाठी को ‘मसान’ की शालू की तरह पेश करने की कोशिश की गई है। उन्हें जितना काम दिया गया उन्होंने ठीक किया है। सौरभ शुक्ला इस तरह का किरदार अपनी कई फिल्मों में निभा चुके हैं तो नया जैसा उन्होंने कुछ नहीं किया है। ब्रिजेंद्र काला का काम अच्छा लगेगा। आपको पूर्वा के किरदार में आंचल सिंह और गोल्डन का रोल करने वाले एक्टर का काम पसंद आएगा।

    इस फिल्म को इस सीरीज को सिद्धार्थ सेनगुप्ता ने बनाया है। उन्होंने ज्योति सागर के साथ मिलकर इसको प्रोड्यूस भी किया है। ये सीरीज आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो चुकी है।मेरी तरफ से सीरीज को 5 में से 2.5 स्टार्स। इस वीकेंड अगर ज्यादा समय है तो ये सीरीज देख डालिए। वैसे ये सीरीज एक ऐसे पॉइंट पर खत्म होती है जिसका दूसरा भाग आना तो तय है! अब इंतजार कीजिये ' ये काली काली आंखे 2' का!