‘द फेम गेम’ रिव्यू: माधुरी दीक्षित को ‘धक धक गर्ल’ से आगे ले जाता है उनका डेब्यू नेटफ्लिक्स शो, लेकिन डब्बा राइटिंग से ऊब जाएगा मन

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    द फेम गेम

    सुपरस्टार अनामिका आनंद एक अवार्ड शो के बाद अचानक गायब हो गयी हैं और उन्हें खोजते हुए उनकी पर्सनल लाइफ की परतें उधड़ने लगती हैं तो नज़र आता है कि सुपरस्टार के खोल के नीचे अनामिका की ज़िन्दगी में क्या कुछ फीका है!

    Director :
    • श्री राव
    Cast :
    • माधुरी दीक्षित,
    • संजय कपूर,
    • मानव कौल,
    • राजश्री देशपांडे
    Genre :
    • सस्पेंस-ड्रामा
    Language :
    • हिंदी
    Platform :
    • नेटफ्लिक्स
    ‘द फेम गेम’ रिव्यू: माधुरी दीक्षित को ‘धक धक गर्ल’ से आगे ले जाता है उनका डेब्यू नेटफ्लिक्स शो, लेकिन डब्बा राइटिंग से ऊब जाएगा मन
    Updated : February 26, 2022 02:38 PM IST

    ‘द फेम गेम’ की शुरुआत ही होती है एक चमचमाते बॉलीवुड स्टाइल अवार्ड शो से, जहां कैमरे सुपरस्टार अनामिका आनंद को जैसे निगलने के लिए तैयार खड़े हैं। और समझ में नहीं आता कि फंक्शन के रेड कार्पेट पर ज्यादा रौशनी कैसे हो रही है- अनामिका आनंद के ग्लैमर-खूबसूरती से? या फिर कैमरों के फ़्लैश से? दोनों चीज़ों में तकर कड़ी है। और इन दो चीज़ों से एक और चीज़ कड़ी टक्कर ले रही है- खुद माधुरी दीक्षित।

    माधुरी का नाम सुनते ही दिमाग में जो एक इमेज आती है, वो हमेशा से खूबसूरती की एक बेमिसाल मूरत है। वो चमचमाती मुस्कराहट, एक-एक मूवमेंट में लाखों इमोशन जता देने को आतुर आंखें, खनक भरी आवाज जिसमें इतनी अदाएं हैं कि एक-एक शब्द को जैसे रूप मिल जाता हो। मतलब कुल मिलाकर ऐसी खूबसूरती जो इस दुनिया से परे की चीज़ लगती हो। ऑलमोस्ट जैसे सुन्दरता की देवी। 

    पता नहीं मुझे ही ऐसा लगता है और किसी को भी कि माधुरी के इस कवर के पीछे, ज़िन्दगी के आम लम्हों में वो लड़की, वो औरत कैसी है? यानी क्या स्क्रीन पर माधुरी जिस तरह एक-एक लफ्ज़ को पूरी अदाकारी-अदायगी के साथ बोलती हैं, क्या असल ज़िन्दगी में भी वो अपने घर में इसी तरह बोलती होंगी? ये ‘खूबसूरती की मूरत’ वाला कवर जब हटता होगा तो वो एक आम महिला कैसी होगी? 

    नेटफ्लिक्स के साथ माधुरी का डेब्यू शो ‘द फेम गेम’ अपने लीड कैरेक्टर में इसी खोज के साथ शुरू होता है। यानी सुपरस्टार अनामिका आनंद की ऑन-स्क्रीन और पब्लिक इमेज की तमाम परतों के बीच उसकी असल ज़िन्दगी में क्या कुछ है। लेकिन दिक्कत यही है कि अनामिका आनंद की इमेज हटती है तो आपको माधुरी दीक्षित खड़ी मिलती हैं, जबकि आपको वहां अनामिका का कोई रॉ, कोई एकदम अलग वर्ज़न मिलना चाहिए था। ऐसा भी नहीं है कि ये बिलकुल नहीं होता। लेकिन एंड के दो एपिसोड्स में ऐसा होने तक ‘द फेम गेम’ की झिलाऊ राइटिंग आपके अन्दर का सारा जूस सोख चुकी होती है। 

    प्लॉट इतना ही है कि ऊपर जिस अवार्ड शो की बात हमने की, वो पहले एपिसोड के एकदम शुरुआत में है और उसके बाद घर आई अनामिका गायब हो जाती है। कहां गयी, क्या हुआ, किसने किया, क्यों किया, यही सवाल हैं। और फिर टाइम में आगे-पीछे जाती कहानी में अनामिका के परिवार की परतें खुलनी शुरू होती है। 

    पति (संजय कपूर) जो झंड होने की कगार पर बैठा प्रोड्यूसर है और अनामिका की स्टारडम को कैश करना चाहता है। एक बेटा (लक्षवीर सरन), जिसे क्या चाहिए उसे खुद भी नहीं पता। बेटी (मुस्कान जाफरी) जो अपनी मां जैसी दिखने-होने की हर कोशिश कर रही है। एक मां (सुहासिनी मुले) जो अनामिका का भौकाल बनाए रखने के लिए इतनी सख्त है कि इसके लिए पनी बेटी को ही तोड़ जाने में नहीं चूकेगी। 

    साथ में स्टोरी में है अनामिका से जुड़ता-टूटता एक सुपरस्टार (मानव कौल) जो बाइपोलर है और उसके पास अपनी हर हरकत का बस यही एक जस्टिफिकेशन है। केस की जांच करने आई ऑफिसर (राजश्री देशपांडे) जो मर्दवादी पुलिसिया माहौल में और अपनी निजी ज़िन्दगी में अलग परेशान हैं। लेकिन इन किरदारों के बीच बना माहौल फीका लगता है। सस्पेंस के नाम पर शो जो कुछ भी करता है वो आप बहुत सारी फिल्मों में बहुत बार देख चुके होंगे। 

    ढीली राइटिंग से आपको ऊबन सी होने लगती है, लेकिन बीच-बीच में कुछेक सीन्स में शो खुद को बचाने की कोशिश करता तो दिख रहा है। आख़िरकार, पहले सीज़न के आठवें एपिसोड में जाकर अनामिका के हुस्नो-ताब की परत उधडती तो है, लेकिन तब तक शो में खुद को जमाए रखना एक बहुत हेवी टास्क है। हालांकि एंडिंग में सीज़न 2 के जानदार होने की कुछ उम्मीद तो नज़र आती है। लेकिन उस सीज़न का क्या होगा इसका इंतज़ार अभी लंबा है। 

    माधुरी दीक्षित ने अनामिका आनंद के रोल को अपनी तरफ से पूरी मेहनत दी है, राइटिंग अच्छी होती तो ये शो कुछ अलग ही होता। संजय कपूर, मानव कौल, सरन और जाफरी सबने परफॉरमेंस से शो को जान तो दी है, काश राइटिंग में भी इतनी जान होती। हां, एक ‘फुल ऑन माधुरी शो’ देखना चाहते हों, तो ‘द फेम गेम’ आपको निराश नहीं करेगा।