बॉलीवुड फिल्म्स जिन्हें राजनीतिक वजहों से किया गया बैन

    बॉलीवुड फिल्म्स जिन्हें राजनीतिक वजहों से किया गया बैन

    ऐसा कहा जाता है कि भारतीय फिल्म उद्योग विवादों का एक बड़ा केंद्र है और यह वास्तव में एक अंडरस्टेटमेंट नहीं है। हालाँकि इंडस्ट्री अपने दृष्टिकोण में उदार होती जा रही है, लेकिन अब भी, संवेदनशील विषयों पर आधारित फिल्मों पर बैन लगाये जाने का रिस्क बना रहता है। कुछ फिल्में हैं जो राजनीतिक कारणों की वजह से मुसीबत में पड़ गई है ये है ऐसी बॉलीवुड फिल्मों की एक लिस्ट:

    1.       फैंटम (2016)

    सैफ अली खान और कैटरीना कैफ अभिनीत राजनीतिक थ्रिलर फिल्म 28 अगस्त को रिलीज होने वाली है। हाफिज सईद, जो 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड था उसने कबीर खान द्वारा डायरेक्ट की गई फ़िल्म के ख़िलाफ़ लाहौर हाई कोर्ट में फ़िल्म को बैन करने के लिए याचिका दायर की है। जमात -उद- दावा के प्रमुख ने यह दावा किया है कि फिल्म में "पाकिस्तान और जमात के खिलाफ जहर" डाला गया है। उन्होंने यह भी लिखा था, “पाकिस्तान के खिलाफ इंडियन प्रोपगंडा फिल्में पाकिस्तान में भारतीय आतंकवाद का हिस्सा हैं। हम ऐसी सभी फिल्मों पर तत्काल बैन लगाने की मांग करते हैं।

    2.     बैंगिस्तान (2015)

    रितेश देशमुख अभिनीत फिल्म को, पाकिस्तान और UEA में बैन लगाया गया था, क्योंकि दोनों देशों ने पाया कि फिल्म में आक्रामक कंटेंट हैं। इस फिल्म की कहानी 2 आत्मघाती हमलावरों के आस पास घुमती है जो एक विस्फोटक मिशन के लिए तैयार किये गए हैं।

    3.      अनफ्रीडम (2015)

    राज अमित कुमार की फिल्म का ट्रेलर एक संदेश के साथ आया था: और वास्तव में इस फ़िल्म को भारत में बैन कर दिया गया है। सेंट्रल बोर्ड फ़िल्म के लिए रेटिंग करने से इनकार कर दिया क्योंकि इसमें कुछ चिंता के विषय थे, ख़ास तौर पर सेम सेक्स संबंधों और भारत में धार्मिक कट्टरवाद बारे में। ऐसा कहा गया था कि यह फिल्म हिंदुओं और मुसलमानों के बीच क्लैश को हवा देगा।

    4.       हैदर (2014)

    यह फ़िल्म, शाहिद कपूर, तब्बू, के के मेनन और श्रद्धा कपूर अभिनीत हेमलेट का रूपांतरण है, जो कश्मीर से संबंधित विवादास्पद तत्वों की वजह से पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था।

    5.       भाग मिल्खा भाग (2013)

    फ़रहान अख्तर अभिनीत एथलीट मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म, पाकिस्तान में रिलीज नहीं हो सकी, ख़ास तौर पर, फरहान के डायलाग के कारण "मुझसे नही होगा। मैं पाकिस्तान नही जाऊंगा।

    6.       डेविड (2013)

    बेजोय नांबियार की फिल्म “पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड द्वारा दिए गए बुनियादी मानदंडों पर खरी नहीं उतर सकी” और इसलिए बैन कर दी गई।

    7.       एक था टाइगर (2012)

    सलमान खान और कैटरीना कैफ अभिनीत फिल्म को पाकिस्तान में रिलीज करने की अनुमति नहीं मिल सकी जिसकी वजह थी पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों का चित्रण।

     8.       लाहौर (2012)

    संजय पूरन चौहान की फिल्म पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति की इसलिए यह पाकिस्तान में रिलीज नहीं हो सकी थी। फिल्म भारत और पाकिस्तान के बारे में है जो राजनीति में 2 देशों में बाँट दिए गए थे।

    9.       तेरे बिन लादेन (2010)

    अली जफर अभिनीत फिल्म को बड़े ही मज़ाकिया अंदाज़ में ओसामा बिन लादेन को चित्रित किया गया है और इसमें अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट भी थे, जिसकी वजह से इसे पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था।

    10.   खिलाडी 786 (2012)

    अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था, क्योंकि यह वहां के लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचा रही थी। इस फिल्म के नाम का मुसलमानों के लिए एक पवित्र महत्व था।

    11.   परज़ानिया (2007)

    नसीरुद्दीन शाह और सारिका अभिनीत फिल्म पिथावाला परिवार के जीवन पर आधारित सच्ची कहानी है जो अपने खोये हुए बेटे को ढूँढने की कोशिश में हैं, जो 2002 में हुए गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के बाद गायब हो गया था। गुजरात के बजरंग दल में फिल्म स्क्रीन करने के लिए थिएटर मालिकों उकसाया, जिसके कारण गुजरात में परज़ानिया को बैन कर दिया गया।

    12.   फिराक़ (2008)

    गोधरा कांड के बाद के दंगों पर आधारित फिल्म अन्य देशों में कई समारोहों में समीक्षकों द्वारा सराही गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से इस फिल्म को गुजरात में रिलीज़ करने के लिए मंजूरी नहीं दी जा सकी। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, दीप्ति नवल, परेश रावल, रघुवीर यादव, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, सहाना गोस्वामी, अमृता सुभाष, संजय सूरी  और टिस्का चोपड़ा ने काम किया है।

    13. ब्लैक फ्राइडे (2004)

    1993 के दंगों पर आधारित अनुराग कश्यप की समीक्षकों द्वारा सराही गई फिल्म, ब्लैक फ्राइडे पर, शुरू में देश में बैन लगा दिया गया था। किताब ब्लैक फ्राइडे पर आधारित फिल्म - ट्रू स्टोरी बाय हुसैन जैदी, 2 साल के लिए सेंसर बोर्ड के साथ फंस गयी थी। फ़िल्म को सेंसरशिप प्रमाणपत्र सिर्फ़ इसी कंडीशन पर मिला कि शुरुआत में इसमें एक डिस्क्लेमर राईट दिखाया जायेगा कि यह फिल्म एक किताब पर आधारित है और फ़िल्म में चित्रित पात्रों पर किसी भी मासूमियत या अपराध का आरोप नहीं लगाया जा रहा है।

    14. फ़ना (2006)

    आमिर खान और काजोल अभिनीत फिल्म गुजरात में रिलीज़ हो सकी, क्योंकि पीके एक्टर नर्मदा बचाओ आंदोलन में खड़े थे जिसने भारतीय जनता युवा मोर्चा को नाराज़ कर दिया, जिन्होंने यह धमकी दी कि जब तक एक्टर माफ़ी नहीं मांगते फ़िल्म पर बैन लगा दिया जायेगा। लेकिन आमिर खान ने सरदार सरोवर परियोजना से विस्थापित लोगों के लिए अपने समर्थन को वापस नहीं लिया।

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