साहित्यिक सम्मान पर राजनीति करना दुख की बात है: प्रसून जोशी
इंडस्ट्री में ‘रंग दे बसंती’,’ फना’, ‘हम तुम’ और ‘गजनी’ जैसी फ़िल्मों में अपना योगदान देने वाले, गीतकार प्रसून जोशी ने हाल ही में साहित्यिक दिग्गजों द्वारा साहित्य अकैडमी पुरस्कार लौटने को लेकर अपनी भावना का इज़हार किया। अभिनेता ने कहा कि इस क्षेत्र में राजनीति की भागीदारी को देख कर उन्हें दुख होता है। प्रसून ने ‘भाग मिल्खा भाग’ के लिए आईफा पुरस्कार सहित अपने कैरियर में कई पुरस्कार जीते हैं।
एक बयान में, गीतकार ने कहा, “साहित्यिक सम्मान पर राजनीति करना दुख की बात है। एक कलाकार को पुरस्कार लौटने के लिए नहीं बल्कि अपने काम के लिए याद किया जाना चाहिए। अगर एक कलाकार अपने काम के माध्यम से खुद की भावना का इज़हार करता है, तो यह ज़्यादा ग्रेसफुल लगेगा।” पुरस्कार का लौटाना, बेंगलुरु में एक लेखक की हत्या के खिलाफ विरोध का एक तरीका बन कर सामने आया है।
भाजपा ने इस विरोध प्रदर्शन को अनुचित बता कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन के अधीन जब सिखों को 1984 में दिल्ली में मारा गया था तब कोई भी आन्दोलन नहीं किया गया था। वहीँ दूसरी तरफ़, पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का मानना है कि इन पुरस्कारों को लौटाना एक साहसी और स्पान्टैनीअस कदम है।