समाज की सोच बदलने की चाह लेकर आये इन सीरियल्स के खिलाफ ही खड़ी हो गई ऑडियंस !

    समाज की सोच बदलने की चाह लेकर आये इन सीरियल्स के खिलाफ ही खड़ी हो गई ऑडियंस !

    एक लम्बा समय हो गया हमें टीवी सीरियल की दुनिया से जुड़े हुए। एक कहानी, किरदारों को हम सालों देखते हैं और एंटरटेन होते हैं। कई टीवी शोज़ में घरेलू मुद्दों को उठाया गया तो कुछ में सामाजिक बुराई के खिलाफ आवाज। इसके अलावा कुछ ऐसे भी शोज़ आये जिन्होंने देश की जनता को न सिर्फ एंटरटेन किया बल्कि जागरूक भी किया।

    कहा जाता रहा है ये टीवी शोज़ समाज का आईना है। जैसा समाज में होता आ रहा है उसे परदे पर दिखाने का प्रयास किया जाता रहा है। लेकिन जब एक्सपेरिमेंट करते हुए कुछ नया और अलग टीवी पर दिखाया गया उसके खिलाफ सैकड़ों लोगों ने अपनी आवाज बुलंद कर ली। क्योंकि आज भी समाज इस तरह की सच्चाई या बुराई स्वीकारने को तैयार नहीं है।

    सिलसिला बदलते रिश्तों का

    समाज की सोच बदलने की चाह लेकर आये इन सीरियल्स के खिलाफ ही खड़ी हो गई ऑडियंस !

    इन दिनों कलर्स टीवी पर ‘सिलसिला बदलते रिश्तों का’ सीरियल दिखाया जा रहा है। ये एक लव ट्रायंगल है जो तीन शादीशुदा लोगों के इर्द-गिर्द घूमता है। एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर मतलब शादी के बाद किसी और के साथ रिश्ते में होना। ये इस सीरियल में दिखाया जा रहा है, जहाँ कुनाल का किरदार निभा रहे शक्ति अरोरा को अपनी पत्नी की दोस्त नंदिनी (दृष्टी धामी) से प्यार हो जाता है। और इसके लिए वो अपनी पत्नी मौली को छोड़ना चाहता है। किसी से भी और कभी भी प्यार होना स्वाभाविक है। लेकिन अभी तक के सभी फ़िल्मी ताने-बाने के बाद समाज की नज़र में पति से धोखा खाई वो पत्नी नायिका होनी चाहिए। लेकिन इस सीरियल में सामाजिक सोच से परे सहेली के पति से अफेयर रखने वाली नंदिनी हीरोइन है। ये नई सोच समाज में लोगों को पसंद नहीं आ रही है। इसलिए बड़ी संख्या में लोग इस सीरियल के विरोध में हैं।

    इससे पहले सीरियल 'पहरेदार पिया की' को भी सिर्फ इसलिए बंद करवा दिया गया था क्योंकि उसमें बाल विवाह और दोगुनी उम्र के एक्ट्रेस के साथ रोमांटिक एंगल दिखाया जा रहा था ! ऑडियंस के विरोध के बाद न केवल शो को बदला गया बल्कि सीरियल की कहानी और कास्ट  दी गई ! सीरियल में कास्ट बदलने तक ठीक था लेकिन कॉन्सेप्ट सास बहु के सीरियल से अलग था ! 

    आज की ऑडियंस नया और फ्रेश कंटेंट तो देखना चाहती है लेकिन एक्सपेरिमेंट और सामाजिक ढांचे को बदलना नहीं !