जावेद अख्तर ने लगाए 'जय सिया राम' के नारे, बोले - 'जब हम लखनऊ में थे तब...'

    जावेद अख्तर ने कहा कि वो नास्तिक हैं लेकिन फिर भी उन्होंने जय सिया राम के नारे लगाते हुए इसका मतलब समझाया

    जावेद अख्तर ने लगाए 'जय सिया राम' के नारे, बोले - 'जब हम लखनऊ में थे तब...'

    मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने अचानक से ही सुर्खियों में आ गए हैं क्योंकि उन्होंने जय सिया राम के नारे लगाए। दरअअसल गुरुवार को जावेद अख्तर राज ठाकरे के दीपोत्सव इवेंट शामिल हुए थे। यहां उन्होंने कहा कि वो वैसे तो नास्तिक हैं लेकिन राम और सीता का उन्होंने यहां महत्तव समझाया है। उन्होंने हिंदू और हिंदू संस्कृति का जिक्र करते हुए कई बातें कीं।

    जावेद अख्तर ने कहा, ''वैसे तो मैं नास्तिक हूं, लेकिन मैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम का बहुत सम्मान करता हूं। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं माता सीता की भूमि पर पैदा हुआ हूं। भगवान श्री राम हमारी संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा हैं। यही वजह हैं कि मैंने इस इवेंट में हिस्सा लिया है। जब भी हम मर्यादा पुरुषोत्तम का जिक्र करते हैं तो भगवान श्री राम और माता सीता का ही नाम हमारे जुबान पर आता है।'' 

    उन्होंने ये आगे कहा, ''मुझे आज भी वो समय अच्छे से याद है जब हम सुबह के समय लखनऊ में टहलने निकलते थे, तो एक-दूसरे को जय सिया राम कहते थे। जावेद अख्तर ने कहा कि आज के समय में असहिष्णुता बढ़ गई है। हांलाकि, पहले भी ऐसे कुछ लोग थे, जिनके अंदर सहनशीलता नहीं थी। लेकिन इनमें से कोई हिंदू ऐसा नहीं था। हिंदुओं का दिल हमेशा से बड़ा रहा है। मैं अभी भी यही चाहता हूं कि उन्हें अपने अंदर से ये चीज खत्म नहीं होने देना चाहिए।''

    जावेद ने आगे बताया, ''सीता और राम प्रेम के प्रतीक हैं, उनका नाम अलग से लेना पाप है। हम उनका नाम अलग से नहीं ले सकते। जो ऐसा करना चाहता था, वो सिर्फ और सिर्फ रावण था। अगर आप भी सिर्फ एक नाम लेते हैं, तो आपके मन में भी कहीं ना कहीं रावण छुपा हुआ है।''

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