IB 71 Review: एक्शन के अलावा विद्युत जामवाल कुछ हटकर करते आए नजर, पाकिस्तान को दिया चकमा
विद्युत जामवाल अपनी एक और फिल्म आईबी 71 लेकर हाजिर है। शुक्रवार को फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। इस बार विद्युत ने फिल्म में एक इंटेलीजेंस ब्यूरो ऑफिसर का रोल किया है। फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। विद्युत की फिल्म में इस बार एक्शन्स के साथ साथ एक सस्पेंस से भरी कहानी भी है। जबकि ज्यादातर विद्युत को सिर्फ एक्शन के लिए जाना जाता है। तो आइए जातने हैं कैसी है ये फिल्म।
फिल्म की कहानी
आईबी 71 की कहानी की बात करें तो इसमें साल 1971 की कहानी दिखाई गई है जब पाकिस्तान के दो हिस्से नहीं हुए थे और बांग्लादेश नहीं बना था। तब पाकिस्तान अपने वेस्ट पाकिस्तान से जहाज लेकर ईस्ट पाकिस्तान यानी अब के बांग्लादेश ले जाने वाला था। चीन के साथ मिलकर हम पर हमला करने वाला था। और वो इंडिया के ऊपर से ही अपने जहाज लेकर जाता। इंडिया के इंटेलीजेंस को ये भनक लग जाती है और अब उनका मिशन होता है कि वो एयरस्पेस को ब्लॉक करेंगे। लेकिन ऐसा संभव नहीं होता क्योंकि कोई पाकिस्तानी की तरह से साफ तौर पर वॉर की सिचुएशन नहीं होती।
लेकिन विद्युत जामवाल प्लान बनाते हैं कि वो अपना ही प्लेन हाईजैक करवाएं और पाकिस्तान में उतारेंगे जिसके बाद इसे एक्ट ऑफ वॉर घोषित किया जाएगा। और फिर एयर स्पेस ब्लॉक कर दिया जाएगा। अब ये कैसे होता है और इसमें विद्युत कितने सफल होते हैं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म में क्या अच्छा?
फिल्म में विद्युत जामवाल के एक्शन्स हमेशा की तरह अच्छे हैं और एक्टर ने इस बार कहानी पर एक्टिंग पर ज्यादा फोकस किया। फिल्म आपको आखिर तक बांधकर रखती है। विद्युत के अलावा अनुपम खेर और विशाल जेठवा तक की एक्टिंग आपको अच्छी लगेगी। छोटे छोटे कॉमेडी एलीमेंट्स आपको पसंद आएंगे। फिल्म में सस्पेंस बरकरार रहता है। डायरेक्टर संकल्प ने फिल्म की कहानी का एग्जीक्यूशन काफी अच्छे से किया है। जम्मू कश्मीर की शूटिंग है तो वहां का एक बढ़िया फील आपको आएगा।
कहां रह गई कमी?
आईबी 71 में तमाम सस्पेंस होने के बावजूद ये कहीं कहीं लॉजिक पर मार खाती नजर आती है। ऐसा लगता है कि क्या सच में ये लोग इतने लकी थे कि चीजें एक के बाद एक ठीक तरीके से होती चली गईं। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी थोड़ा और अच्छा हो सकता था। 70 के दशक का माहौल दिखाया गया है लेकिन वैसा सेट बना पाने में थोड़ी कमी लगती है। विद्युत ने कुछ नया करने की कोशिश की, ये अच्छी बात है लेकिन इसमें वो पूरी तरह से सक्सेस होते नजर नहीं आए।
वैसे एक बार फिल्म को जरूर देखा जा सकता है। विद्युत की कुछ अलग करने की कोशिश और फिल्म के साथ आखिरी तक बंधे रहने या फिल्म को एक बार तो आपको देखने पर जरूर मजबूर करता है।