बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की ये 8 फ़िल्में सबूत हैं कि वे मॉडर्न ज़माने के देशभक्त हैं !
Updated : October 11, 2019 12:00 PM ISTसिनेमा और देशभक्ति हमेशा से साथ-साथ रहे हैं। बॉलीवुड में काम करने वाले एक्टर्स में से शायद ही कोई होगा, जिसने किसी देश प्रेमी का किरदार ना निभाया हो। हालांकि इसके बावजूद देश में कुछ ऐसे भी एक्टर्स हैं, जिन्होंने देशभक्ति के जॉनर को पहले से बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया है। ऐसे ही एक एक्टर हैं अक्षय कुमार जो आज के मॉडर्न ज़माने में देशभक्ति को अपनी तरह की परिभाषा में देने में लगे हुए हैं।
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जहां देशभक्ति वाले रोल्स की बात आती है वहीं गुज़रे ज़माने के स्टार मनोज कुमार को ज़रूर याद किया जाता है। ऐसे में मनोज कुमार जैसी कलाकारी इस समय में कर पाना काफी मुश्किल है वहीं बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार ने अपनी सिनेमाई वर्दी के ज़रिये ही देश के प्रति अपना समर्पण ज़रोर साबित किया है। उनकी फिल्म रुस्तम से पैड मैन तक अक्षय ने हमेशा खुद को एक अच्छे देशभक्त के रूप में दर्शाया है और फिल्म के सहारे देश को और बेहतर बनाने का मेसेज दिया है। यही बात भारत में उनकी देशभक्त की इमेज को और बड़ा बनाती है।
आइये आपको बताते हैं अक्षय की ऐसे फिल्मों के बारे में जो साबित करती हैं कि वे मॉडर्न ज़माने के देशभक्त हैं-
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
इंडस्ट्री में लंबे समय से काम कर रहे अक्षय की पहली राष्ट्रवादी फिल्म काफी देर से आई थी। अनिल शर्मा द्वारा निर्देशित ये फिल्म अक्षय के लिए अपनी देशभक्ति के सफ़र की शुरुआत करने के लिए बहुत अच्छी थी। अक्षय ने एक ऐसे आर्मी अफसर का किरदार निभाया था जो पाकिस्तान में बतौर कैदी लड़ता है और उनका काम बेमिसाल था।
हॉलिडे: अ सोल्जर इज़ नेवर ऑफ़ ड्यूटी
एक आर्मी अफसर का किरदार दोबारा निभाने में अक्षय को एक पूरा दशक लग गया। हालांकि इस बार उन्होंने इस किरदार को काफी एंटरटेनिंग तरीके से करने का फैसला किया। ए आर मुर्गदोस द्वारा निर्देशित फिल्म 'हॉलिडे' साल 2014 में रिलीज़ हुई और बॉक्स-ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। यही वो फिल्म थी जिसने अक्षय के बदले हुए रूप पर रोशनी डाली।
बेबी
फिल्म 'स्पेशल 26' में नीरज पांडे के साथ सफल कोलैबोरेशन करने और अपनी नयी इमेज के साथ अक्षय ने पेट्रियोटिक थ्रिलर फिल्म 'बेबी' में काम करने का फैसला किया। एक घातक RAW एजेंट के रोल में अक्षय ने फिल्म में बड़े बड़े आतंकवादियों को धूल चलाई और अपनी परफॉरमेंस से साबित किया कि उनका नया अवतार फिल्म-दर-फिल्म बेहतर होता जा रहा है।
गब्बर इज़ बैक
एक मेनस्ट्रीम मसाला एंटरटेनर के रूप में अलग से सेट की गयी फिल्म 'गब्बर इज़ बैक' पूरी तरह आर्मी या देशभक्ति पर आधारित फिल्म नहीं थी। लेकिन इसके अन्दर काफी हद तक राष्ट्रवाद और सिस्टम को अच्छा बनाने की बातें थीं। फिल्म 'गब्बर इज़ बैक' देश में भ्रष्टाचार के विषय के बारे में थी और इस फिल्म से दिया गया मेसेज काफी असरदायक था। ये अक्षय के द्वारा देर से चुनी जाने वाली फ़िल्मों में से एक थी।
एयरलिफ्ट
अपने साल में आई सबसे सफल फिल्म 'एयरलिफ्ट' भी देशभक्ति पर आधारित थी और इसमें बिना किसी शक के अक्षय कुमार ने लीड रोल किया। एयरलिफ्ट कुवैत में हुए एक ऐतिहासिक मानव निकास पर आधारित कहानी थी। इस फिल्म की कहानी को बहुत ज़ोरदार तरीके से या बहुत बढ़ी-चढ़ी कहानी के साथ प्रस्तुत नहीं किया गया था और सभी किरदारों की बदलती अप्रोच के चलते अक्षय को इस फिल्म से एक बार फिर एक देशभक्त के रूप में ज़बरदस्त सफलता पायी।
रुस्तम
रुस्तम पूरी तरह एक देशभक्ति पर आधारित फिल्म नहीं थी। ये एक पूर्व-नेवी ऑफिसर की कहानी थी जो अपनी पत्नी के प्रेमी को मार देता है, लेकिन अपनी देशभक्ति के चलते बच जाता है। अक्षय की आजकल की ट्रांसफॉर्मेशन और उनकी देश प्रेम पर बनी फिल्मों को देखें तो 'रुस्तम' से एक बार फिर साबित हो गया कि राष्ट्रवाद का विषय अक्षय के लिए अच्छा काम करता है।
टॉयलेट: एक प्रेम कथा
ये फिल्म एक प्रेम कहानी थी, जिसमें सामाजिक विकास के चलते अनौपचारिक रूप से सरकार के स्वच्छ भारत अभियान का प्रमोशन किया गया। असल ज़िन्दगी की कहानी पर बनी इस फिल्म में आपको स्वास्थ्य-संबंधी साफ़ सफाई के बारे में सीखने को मिलता है और एक बार फिर अक्षय आपको समाज में बदलाव लाने और सच्चे देशभक्त होने का उदाहरण देते हैं।
पैड मैन
ये फिल्म महिलाओं के मासिक धर्म या पीरियड्स के बारे में सामाजिक जागरूकता फैलाने का काम करती है, जिसका सामना दुनिया की सभी औरतों को हर महीने करना पड़ता है। इस फिल्म की कहानी अक्षय की पत्नी ट्विंकल खन्ना की किताब 'द लीजेंड ऑफ़ लक्ष्मी प्रसाद' के चैप्टर और तमिलनाडू के सोशल एक्टिविस्ट अरुणाचलम मुरुग्नांथम के काम पर आधारित है। इस फिल्म के साथ अक्षय एक बार फिर सोशल हीरो और देशभक्त के रूप में उभरकर आ रहे हैं, जिन्हें देखने का इंतज़ार हम काफी समय से कर रहे थे।
कहते हैं कि देशभक्ति एक बदमाश की अंतिम आश्रय है लेकिन अक्षय की सफलता को देखा जाए तो उन्हें इसके साथ हमेशा जुड़े रहना चाहिए।
क्या आपको लगता है कि अक्षय मॉडर्न समय के मनोज कुमार बन गये हैं?